कैसे भूलू में बचपन अपना। दिल दरिया और समुंदर जैसा। याद जब भी आये वो पुरानी। दिल खिल जाता है बस मेरा। और अतीत में खो जाता हूँ। कैसे भूलू में बचपन अपना।। क्या कहूं उस, स्वर्ण काल को। जहां सब अपने, बनकर रहते थे। दुख मुझे हो तो, रोते […]

विधाता ने श्रृष्टि बनाई और उसके नियम बनाये। जिन्हें पृथ्वीवासियों को मानना सबका कर्तव्य है। अब हम माने या न माने ये सब पर निर्भर करता है। क्योंकि विधाता ने तो सब कुछ आपको दिया।। भावनाओं से ही भाव बनतें है। भावों से ही भावनाएं चलती हैं। जीवन चक्र यूँ […]

भक्ति में करता प्रभु की, साँझ और सबेरे। चरण पखारू तेरे साँझ और सबरे। चरण पखारू तेरे साँझ और सबरे। तेरे करुणा भरे दो नैन मेरे दिलको दे रहे चैन। तेरे करुणा भरे दो नैन…। क्या ज्ञान क्या अज्ञानी जन, आते है निश दिन मंदिर में। एक समान दृष्टि तेरी […]

मत पिलाओं अपने आँखों से इतना की हम उठा न सके। मत दिखाओ अपने हुस्न को कि हम नजर हटा न सके। जब भी होते है दीदार तुम्हारे खो देते है अपना सुध्दबुध। और तुम्हें ही अपनी नजरो से देखते रहते है।। खोलकर उलझे हुए कालेबालों को जब तुम सुलझती […]

किसी से नज़रें मिलते ही, दिल लगाया नहीं जाता। हर मिलने वाले को भी अपना बनाया नहीं जाता। जो दिलमें बस जाये उन्हें उम्रभर भुलाया नहीं जाता।। माना तेरी हर अदा, मोहब्बत सी लगती है। एक पल की जुदाई भी, मुद्दत सी लगती है। पहले नहीं सोचा था, अब सोचने […]

मन से भक्ति करने वाले तुम्हे प्रभु मिल जायेंगे। दानधर्म करने वालो को दौलत भी मिल जायेगी। मन से भक्ति करने वाले तुम्हें प्रभु मिल जायेंगे।। होगा ये सब सामाने तेरे तू सब कुछ यही देखेगा। प्रभु की लीला देखकर तू प्रभु चरणो में खो जायेगा। आसमान में उड़ने वालो […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।