1. किस्मत के भरोसे ना बैठ     सफलता तेरी राह देख रही है     आज हुनर तो दिखलादे     उन्नति तेरी कला देख रही है। 2. आज कर दृण निश्चय    की पत्थर तू पिघलाएगा    और हिम्मत की कलम से लिख    यह जमाना तेरा हो […]

-डॉ. वेदप्रताप वैदिक पिछले तीन दिनों में तीन ऐसी घटनाएं हुई हैं, जिन पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और भाजपा के नेताओं को गंभीरता से विचार करना चाहिए। ये तीनों घटनाएं ऐसी हैं, जो अटलजी के स्वभाव के विपरीत हैं। यदि अटलजी आज हमारे बीच होते और स्वस्थ होते तो वे […]

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पुन: स्मरण करें आज कैसे देश श्मशान हुआ था पंख काटकर सोन-चिरैया के स्वतंत्रता का गान हुआ था बलिदानी शव बने थे सीढ़ी लगाम थामना आसान हुआ था सूरज उगते बदला नहीं दिनांक बीच रात स्वामी गुणगान हुआ था पुन: स्मरण करें आज . . . . . नर्म गद्दों […]

कांग्रेस पार्टी देश की सबसे बड़ी विरोधी पार्टी है लेकिन उसके नेता कितने भौंदू सिद्ध हो रहे हैं ? उनके भौंदूपन ने सारी विरोधी पार्टियों की हवा निकाल दी है। कल तक कांग्रेस असम में नागरिकता के सवाल पर भाजपा सरकार की भर्त्सना कर रही थी। राहुल गांधी और ममता […]

राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्षा रेखा शर्मा ने बर्र के छत्ते में हाथ डाल दिया है। उनको सारे पादरी और बिशप कोस रहे हैं, क्योंकि उन्होंने ईसाइयों की सदियों पुरानी धार्मिक प्रथा- कुबूलना या आत्म-स्वीकृति या ‘कन्फेशंस’ पर प्रतिबंध लगाने की मांग की है। यह मांग उन्होंने सरकार से इसलिए […]

मत पूछो कोई रूह में समाए तो कहाँ तक जिन्दगी के हर तार धड़काए तो कहाँ तक मुझको लगता ही नहीं खुद में फकत मैं हूँ अंजान दिल में घर कर जाए तो कहाँ तक चाँद पर जाकर आसमां उतारने की ज़िद है बेख़बर मुझको दिवाना बनाए तो कहाँ तक ज़मीं गगन क्या है उसके तोहफ़े के लायक खुबसूरत ताजमहल भी बनाए तो कहाँ तक रब छीने जो चाहत के दम वापस ले आऊँगा दिल्लगी इब्तिदा अंजाम जाए तो कहाँ तक क़यामत का आख़िरी हसीं तराश लिया होगा क्या बताऊँ मैं नज़रों को लुभाए तो कहाँ तक कुदरत के इशारों को अदा में क़ैद कर ली है जाने मुद्दत को दर-बदर नचाए तो कहाँ तक नाम:राजीव कुमार दास पता: हज़ारीबाग़ (झारखंड)  सम्मान:डा.अंबेडकर फ़ेलोशिप राष्ट्रीय सम्मान २०१६ गौतम बुद्धा फ़ेलोशिप राष्ट्रीय सम्मान २०१७ पी.वी.एस.एंटरप्राइज सर्वश्रेष्ठ रचनाकार सम्मान १४/१२/२०१७ शीर्षक साहित्य परिषद:दैनिक श्रेष्ठ रचनाकार सम्मान १५/१२/२०१७ काव्योदय:सर्वश्रेष्ठ रचनाकार सम्मान:०१/०१/२०१८,०२/०१/२०१८,०३/०१/२०१८३०/०१/२०१८,०८/०५/२०१८ आग़ाज़:सर्वश्रेष्ठ रचनाकार सम्मान:२५/०१/२०१८ एशियाई […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।