ये जो तुम आज ठूंठ देखते हो कभी हुआ करता था वृक्ष हरा भरा जिसकी हरियाली से थी घर में खुशहाली शीतल छाया में जिसके दिन भर की थकन पल में मिट जाया करती थी चारों तरफ को विस्तृत शाखाएं समेट लेती जेठ की चिलचिलाती धूप भरी दोपहरी भी जब […]

जब भी करता हूँ इक़रार अपनी चाहत का उससे सब जानकर भी बनते हुए अंजान अल्हड़पन से खिलखिलाती पूछने लगती है व्याख्या एहसासों की बिल्कुल पगली सी है कैसे समझाऊं उसे एहसास व्याख्यायित करने के लिए नहीं होते होते हैं खुशबू की तरह जो नज़र नहीं आते रंग होते हैं […]

रोज़ की तरह आज सुबह भी ले आया हूँ  एक खूबसूरत आज मजबूरियों के कत्लखाने में कि उतारकर खाल इसकी बोटी-बोटी कर बेच दूँगा शाम तलक ताकि भर सके मेरी और मेरे परिवार की ज़रूरतों का पेट ये दिन……… जिसे कुदरत ने पैदा होते ही सौंपा था मेरे हाथ में […]

दिल कहूँ दिलबर कहूँ दिलदार दिलरूबा कहूँ, कभी तुम्हें सनम कहूँ कभी तुम्हें खुदा कहूँ, ============================ हमसफर तू हमकदम तू हमदम तू हमराज़ तू, तुमको ही मंज़िल कहूँ तुमको ही रास्ता कहूँ, ============================ मौजूद ना होके भी तू हर वक्त मेरे पास है, महबूब मेरे किस तरह मैं तुझको बेवफा […]

बात कुछ ना थी बवंडर हो गए, महल आलीशान खंडहर हो गए, ======================= वक्त के हाथों बचा ना कोई भी, दफन कितने ही सिकंदर हो गए, ======================= थोड़ी शोहरत थोड़ी इज्ज़त क्या मिली, वो जो कतरा थे समंदर हो गए, ======================= हो गए सीने से मेरे आर पार, लफ्ज़ तेरे […]

कब दीवारों से झाँकता है कोई, मुझको शायद मुगालता है कोई, ==================== मुड़ के देखा हवा का झोंका था, लगा ऐसे पुकारता है कोई, ==================== रूबरू होती है मुलाकातें, अब कहाँ चिट्ठी बांचता है कोई, ==================== इस तरह आजकल वो मिलता है, जैसे एहसान उतारता है कोई, ==================== तुम्हें मालूम […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।