झुलस के रह गई है हर एक ख्वाहिश मेरी। गर्म मौसम की इन गर्म हवाओं में। अजीब वो शख्स भरोसा न कर सका मुझ पर। कमी ही ढूँढता रहा मेरी वफाओं में। सबूत माँगने बालों को कुछ नहीं मिलता। झाँककर देखते नहीं क्यों निगाहों में। किसको रहना है दुनिया में […]

बेवजह ही बेजुबां दिल हो गया, अरमानों का अपने ही कातिल हो गया। मेरी उम्मीद जब बोली, तू शायद हमारा हो। हम बोले डुबोने बाला कब से साहिल हो गया॥                                         […]

भगवान से भी बढ़कर एक चीज देखता हूँ, उठकर सुबह को माँ की तस्वीर देखता हूँ। होता है दर्द मुझको लगता हूँ मैं छिपाने, आँखों में मगर माँ की मैं नीर देखता हूँ। कुछ ऐसे भी जिनसे दूर साया माँ का, ऐसे अभागों की तकदीर देखता हूँ। जो कमी मुझे […]

अब बदल भी लोगे निगाहें कोई हैरत नहीं। प्यार की लाज क्या रखें जिन्हें गैरत नहीं।   कुछ रिश्ते संभालकर रखें वक्त बेवक्त को। काम अपने ही आते हैं कोई दौलत नहीं।   प्यास चीखती रही एक बूँद न मिली। अब सागर भी लाओगे तो जरूरत नहीं। लड़ता था आम […]

कसक दिल की दिल में छुपाए- छुपाए। ये भी नहीं याद कि कब मुस्कराए।। हम जब फना हो गए उनकी खातिर। आए भी तो देर से बहुत आए।। था मौजूद पानी तो तुमने न मानी। रेत में कोई कश्ती अब कैसे चलाए।। अंधेरों से सीखा सबक जिन्दगी का। रोशनी में […]

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जिन्दगी का हर फसाना याद आएगा, तुम्हारा रुठना-मेरा मनाना याद आएगा। है भले ही दौर तुम्हारा मगर ये जान लो। तुमको फिर बीता जमाना याद आएगा। बात जब छिड़ जागी कसमों-वादों की कहीं। मुकर जाना तुम्हारा,मेरा निभाना याद आएगा। होंठों पर आए मगर गा नहीं सकते कभी। वो अधूरा तुमको […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।