3

रूठे सागर को मनाने का हुनर आता है, चांद काे ख्वाब दिखाने का हुनर आता है l दर्द काे फूल-सलीके से बना देते हैं, जिनको हर जख्म भुलाने का हुनर आता है l पल में सो जाता है आंचल में बिलखता बच्चा, मां को क्या खूब सुलाने का हुनर आता […]

उम्दा  मोहब्बत   परवाज़   करते हैं, वो जो इंकार से  आगाज़   करते हैं। मुझे देखते ही जो नजर फेर लेते हो, क्या बेरुखी का वो रियाज़ करते हैं। मतलब की है दोस्ती मतलबी जहां, गरज निकलते ही  नाराज करते हैं। गमों में मेरे  खुश  हो जाते  हैं रिश्ते, […]

  सावन रितु आई, बरसात की है झड़ी लगाई, झूले पड़ गए डाली-डाली, हर गौरी है इतराई। बिजुरी पागल-सी दमक रही, अँगड़ाइयाँ लीं बादल ने, झूमती-इठलाती गौरी ने, मदमस्त मदमाती पींग बढ़ाई। मौसम पागल, दीवाना-सा, पहन पायल कैसी हवा चलाई, रिमझिम बूँदें लगीं बरसने, दामिनी ने ज्योति चमकाई। अल्हड़ वर्षा […]

जब-जब लौटता हूँ अतीत में यही पाता हूँ कि पहले और अब में बहुत बड़ा फर्क है उतना ही कि जितना निष्कलुष बचपन और स्वार्थ भरी जवानी में वात्सल्य और वासना में आग और पानी में ज़मीन और आसमान में माघ-पूस और जेठ के तापमान में l यानि कि, उतनी […]

जिंदगी की गाड़ी को किस कदर,चलाना पड़ता है, निकालकर पहिए खुद जुट,जाना पड़ता हैं। कहीं सफर में खुशी मिले, कहीं राह में ग़म। रोते-रोते हमको पल में,मुस्कुराना पड़ता है। बड़ी नाजुक-सी डोर है,जीवन में रिश्तों की, हर ताना-बाना सलीक़े से,सजाना पड़ता है। कठपुतली की तरह,जी रहे हैं जीवन अपना, जाने […]

  दास्ताँ  दर्दे   दिल  की सुनाते  रहे। वो  हमें   देखकर   मुस्कराते  रहे। टूटकर के बिखरने से क्या फायदा। ये  गलत है  उन्हें हम सिखाते  रहे। जब कभी देखा गम़गीन मैंने उन्हें। आँख  में अश्क अपने  छुपाते रहे। हम शिकायत करें भी तो किससे करें। जब  खुदा खुद […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।