हमारे मन में, जब तक वो ईश्वर,अल्लाह खुदा, राम रहेंगे। तब तक, ऐसे कई पाखण्डी रावण, अपने आप ही, इस धरा से, मिटते रहेंगे। अपने कृत्यों से, स्वयं सत्य की अग्नि में, जलते रहेंगे। सावधान रहना होगा, आज के रावण से, जन-जन के राम को। यह त्रेता नहीं, कलियुग है, […]

डगर-सी है जिंदगी बस चलते रहो, कभी अकेले कभी साथियों का साथ, पर अधिकतर अकेले जहां साँझ हुई वहां विश्राम। फिर से चल निकलना है एक नई किरण के साथ, बस चलते रहो॥ कभी अपनों से लड़ना होता कभी परायों से, पर खुद से जयादा लड़ना होता है जहां थक […]

दूसरों  का   जो  आसरा   होगा, तो नहीं ख़ुद का भी भला होगा। दूसरों   को   जो   तू    गिराएगा, कल को तू भी  यहाँ गिरा होगा। हौंसला  तब  ही  साथ  देता  है, जब कड़ा  कोई  फ़ैसला होगा। जब करोगे सनम  शुरू चलना, तब  सुलभ  तेरा  रास्ता […]

कलियों  पर  शबाब  है, क्योंकि तेरी सूरत गुलाब है। सपनों ढूंढो कोई और नज़र, वो आए नज़र तो खाब  है। मस्त निगाहें शोखी तेरी, क्या खूब भरी शराब है। मैं यूँ  ही रौशनी ढूंढ रहा, देखा तुझे तो बेनकाब है। बिजली गिरी ज़िगर पर, यूं चमकी  बेहिसाब है। तू तो […]

चलते-चलते थक गया हूँ मैं बहुत, गोद में माँ तेरी सोना चाहता हूँ। दिल भरा है पर बहुत खामोश हूँ, आँचल से लिपट बस रोना चाहता हूँ। जी करे जी भर के जिद तुमसे करुं, माँ मैं फिर से जिद्दी होना चाहता हूँ। जिसे पाकर भूल जाऊं दुनिया का गम, […]

वाह रे वाह जमाना, मिलती न जिन्हें आधुनिकता,सुख,प्यार तो शुरु करते हैं अत्याचार, भुलाकर मानवता की सीमा रच ढोंग अध्यात्म का, चलाते हैं व्यापार वाह रे वाह जमाना l मानवता का ज्ञान न जिसको,  वह खुद को ईश्वर का प्रतीक बताता राम-रहिमन की मर्यादा की, है बोली ऊँचे मंचों से लगाता वाह […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।