वो उसका वास्ता देकर आज भी मुस्कराते हैं, दोस्त हैं अपने,कसम से आज भी सताते हैं, इसमें भी प्यार छुपा है इन यारों का, आंसू भी खुद ही देते हैं और मरहम भी खुद ही लगाते हैं॥ यादों का क्या है हरदम सताती है। माँ की या महबूबा की,दोनों रुलाती […]
काव्यभाषा
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