बचपन में कभी हमें चुप बैठे देखा तो, ’क्या हुआ बेटा?’ यह पूछने वाली वो मेरी माँ ही तो थी। क से कमल A से Apple, लिखने में जिसने मदद की। मछली जल की रानी कविता जिसने सिखाई, वो मेरी माँ ही तो थी। स्कूल से आने पर, पीठ पर […]

जब खाना बनाती हूँ न, तब तेरी तरह ही नाप तोल का गणित बैठाती हूँ। सीख से पलोथन में रोटी उलटते पलटते भावों को आकार देती हूँ। तेरी हिदायतों को धीमी आँच पर पका तेरा हुनर सीख जाती हूँ। तब मुझे आशीष देने तुम सपनों में आ जाती हो। माँ! […]

अपने अन्तः स्तल में दबाकर दर्द सारे, आँचल से ढककर अपने बच्चे सारे। वसु को अपनी प्यारी शैय्या बनाकर, गगन को अपनी सुंदर रजाई बनाकर। सुलाती है बच्चों को लोरियाँ गाकर, थकती नहीं कभी बच्चों को दुलारकर। कांटों की चुभन को सहती जो हँसकर, अंगारों में कूद जाती बच्चों की […]

माँ तेरा नहीं पर्याय, धरा-सा आँचल, नभ सी छाँव, सहा नौ माह का दर्द, मेरे हर दर्द में फैला दी बांह। झील-सी ठंडी, समुद्र-सी अथाह सरिता-सी अविरल, संक्षिप्त नहीं हो, तुम पर क्या लिखूँ? हे निश्छल! ईश्वरीय कृति, जब अथाह प्यार सिमटे संसार में आई, हर रिश्तों में रची-बसी और […]

मेरी माँ मेरी मातृभूमि मेरी मातृभाषा हर जन्म मिले माँ तुम्हारा उदर मातृभूमि-देवभूमि जन्मूँ तुम पर बोलूँ “हिन्दी माँ” जैसा मीठा स्वर जन्मदात्री माँ के संस्कारों से मिले मुझे संस्कार सफल हुआ जीवन माँ बनकर हो रही जयकार सुई की नोंक से निकाला, यूँ बनके परवरदिगार गृहस्थ एक तपोवन जाना, […]

संस्कार तुम्हीं से पाते हैं , सब प्यार तुम्हीं से पाते हैं। ममता के सुंदर उपवन में, मीठी लोरी के मधुबन में। आँचल की ठंडी छाँव तले, मेरा बचपन देखो पाँव चले। गिर-गिर कर उठना सीखा है, सब माँ से पढ़ना सीखा है। सब सुनकर के चुप रहती है, धीरे […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।