हिंसा की आग में कैसी यह सोच तोड़कर पूर्वजों की मूर्तियां जता रहे अफसोस। —————- नफरतों के दौर इतने न बढ़ने पाए सलामत रहे जिन्दगी दुआ सलाम फरमाए। ——————- जीवन के कालचक्र सभी को उलझाए आसमान में उड़ने वाले एक दिन जमी पर आए । ——————- सब दिन न रहे […]

जन-मानस के पटल पर राष्ट्रवाद छा गया नये भारत के सपनो को पूरा करने आ गया। ————————- वोट की चोट से आत्मबल और जोश से चमक रहा भारतवर्ष विश्व पटल पर छा गया। —————————— राष्ट्रभक्त है फैले यहाँ आतंक परास्त हुआ कड़वे बोल बोलने वालो का जमानत भी जब्त हुआ। […]

——————- देखो नये जमाने की शान डिजिटल के ही नाम अंगूलियाँ दौड रही स्क्रीन है जान तार लटके है कान । ————————— जमाने का संगत पाकर बच्चो में अक्ल की अकड़ स्क्रीन टच के संग आँखो पर चश्मा की पकड़। ——————————– किताब कापी नहीं अच्छी सब डिजिटल के नाम पर […]

——————— अपार जीत राष्ट्र की विशाल लोकतंत्र की जन-जन में विश्वास की कमल फिर खिल गया अपार बहुमत मिल गया बडी जीत मिल गया। ————————– जीत बड़ी अंतराल की जिम्मेदारीयों से भरी हुई जन-जन आकांक्षा सवार है यह प्रजातंत्र का अधिकार है यह जीत महान है जीत महान है। ———————————– […]

संस्कृति की जन्भदात्री है, यह हमारा देश। अलग-अलग धर्म है,तनिक भी नहीं द्वेष।। ऋषि मुनि गुरूजन का , संस्कृत था प्राण। रचते-रचते रच दिए,कितने ही वेद-पुराण।। धरा रही दानवों की,भूल गयी संस्कृति। हिंसात्मक न सोच हो, ना फैलेगी विकृति।। संस्कृत से समाज का,कालान्तर से उद्धार। नित-दिन उजागर हो,सभ्यता का द्वार।। […]

यूँ तो हर रोज कई चेहरों का, वखान होता है कोई एक होता है जिसका दिल में, स्थान होता है। नाजुक सा दिल बडा विशाल होता है दिल में बसने वालो का हर दर्द का आभास होता है यूँ तो हर रोज ▪▪▪▪▪▪▪▪ आँखो के रास्ते ही दिल के दरवाजे […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।