उस दिन मैं सुबह सोकर उठी तो मैंने देखा कि मेरी बालकनी में एक चिड़िया चहचहा रही थी-चिरर..चिरर.. चिरर..। मैंने जाकर देखा तो वो नीले रंग की छोटी-सी चिड़िया थी, जिसके पंख पर सफेद रंग का डॉट था। मैं जल्दी दौड़ कर अंदर गई और कटोरी में पानी और दाना […]

यशोमति खुश थी,पति डीएम बन गया था कि,चलो पास न सही दूर है,पर मेरे तो हैं..। भारतीय नारी की तरह सारे गम भुला चुकी थी। पति के इतने बरसों के बेरुख़ेपन के बावजूद ईष्ट का शुक्र मना रही थी। उम्मीद तो बिलकुल नहीं थी कि,उसका पति अपना लेगा,पास बुला लेगा। […]

‘जो हुआ उसमें भगवान की मर्ज़ी थी। हर व्यक्ति जो आया है,जाएगा,जितने दिन का साथ था सो साथ रहा।’ आंटी के मुख से ऐसे शब्दों को सुन मन प्रफुल्लित हो गया। अभी तीन साल पहले ही हम मिले थे। मैं उन्हें योगा सिखाती थी। 65 वर्षीय आंटी शांत और सक्रिय […]

अगस्त माह का पहला रविवार हैl सुबह-सुबह का झुटपुटा हैl  अभी वृक्ष सोए पड़े हैंl  डालियाँ पंछियों की चहचहाहट सुनने के लिए आतुर हैं,लेकिन कहीं कोई आवाज़ नहीं,केवल एक आवाज़ को छोड़कर बादलों की गर्जन-तर्जन कभी तेज-कभी धीमी,कभी बिजली कड़कने की ज़ोर की आवाज़ हैl शायद बारिश होने वाली हैl […]

सुहाना अपने मम्मी-पापा की लाड़ली बेटी थीl एक छोटा भाई भी था सुहाना का। सुहाना अपने परिवार के साथ कम पैसों और कम सुविधाओं में भी खुश थी। सुहाना के पापा मामूली कलर्क थे,मुश्किल से ही गुज़ारा होता थाl मम्मी घर पर ही रहती थीं,पर समझदार महिला थी और अपने […]

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मेरे घर नई कामवाली बाई ने काम शुरु किया जो बहुत गरीब थी। साथ में ४ बच्चे-३लड़की, १ लड़का। मैंने पूछा-आज के समय में इतने बच्चे.. कहने लगी कि, बेटे के इंतज़ार में लड़कियां हो गयी। पति ज्यादा कमाता भी नहीं था। जो कमाता था वो दारु में उड़ा देता […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।