तुमको वंदन हे रघुनंदन! प्रभु अभिनंदन है, अभिनंदन, ठाढ़े करज़ोर करत वंदन, अभिनंदन हे दशरथनंदन! न जाने ये कैसी परीक्षा थी! सदियों-सदियों से प्रतीक्षा थी, दो दर्शन कौशल्यानंदन, प्रभु अभिनंदन है, अभिनंदन। दो-दो वनवास दिया जग ने, पुरुषोत्तम रूप जिया तुमने, तेरे अपराधी करते क्रंदन, प्रभु अभिनंदन है, अभिनंदन। है […]