निकलूं मैं जब तेरी गलियों से राहों में प्रियतम तुम मिल जाओ। लौटा दो तुम अब मेरी नींद मुझे वापस मेरा मुझको दे दिल जाओ।। भटक रही शाम बिन तेरे भटके – भटके से दिन हैंं। क्या जानो तुम हाल मेरा हम जीते कैसे तुम बिन हैं।। पस्त अवारा अब […]
हमारे जन्म के साथ ही संसारभर के वे सारे लोग जो हमसे पहले इस दुनिया में जन्म ले चुके होते हैं,हमें सिखाते हैं कि हमें क्या बोलना चाहिए,हमें क्या पढ़ना चाहिए,हमें क्या लिखना चाहिए। हम ये सीख भी लेते हैं-और क्या बोलना,क्या पढ़ना,क्या लिखना हमारे लिए कल्याणकारी है,इसे जैसा का […]
कारवां न चले मेरे संग में तो क्या, राह मेरी अकेले भी कट जाएगी। पग में हैं भरे मेरे काँटें तो क्या, चुन के उनको हटाना है आता मुझे। ज़ख़्म सहकर मैं मुस्कुराता सदा, दर्द जीना हमेशा सिखाता मुझे॥ देखकर मुश्किलें जो सहम जाऊँ मैं, आ के नाकामी मुझसे लिपट […]
विद्या का मंदिर खूनी जल्लादों का बन घर बैठा, पता नहीं,कब-कहां कौन है कालसर्प बनकर बैठा। चीत्कार-कोहराम मचा है, हर आँख में नीर है, प्रिय मासूम प्रद्युमन का क्यों लहूलुहान शरीर है। मां की आंखें रो-रोकर पथराईं है, बार-बार बाबू बेटा चिल्लाईं है। पापा की आँखों में अंधियारा छाया, बदहवास […]
एक पक्षी होता है जिसे बुंदेलखंड में ‘किलकिला’ कहा जाता है। किलकिला सदैव नदी की धार के ऊपर बीच में उड़ता है। वो उड़ते हुए ही नदी में रहने वाली मछलियों को देख लेता है, ये मछलियाँ उसका भोजन होती हैं। उसे जब भी भूख लगती है, वह तीर के […]
भाग-१…… अब अशुद्धि के लिए मैं शुद्ध होना चाहता हूँ। अब कुबुद्धि को लिए मैं बुद्ध होना चाहता हूँ॥ चाहता हूँ इस जगत में शांति चारों ओर हो। इस जगत के प्रेम पर मैं क्रुद्ध होना चाहता हूँ॥ चाहता हूँ तोड़ देना सत्य की सारी दीवारें। चाहता हूँ मोड़ देना […]
मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष, ख़बर हलचल न्यूज़, मातृभाषा डॉट कॉम व साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। साथ ही लगभग दो दशकों से हिन्दी पत्रकारिता में सक्रिय डॉ. जैन के नेतृत्व में पत्रकारिता के उन्नयन के लिए भी कई अभियान चलाए गए।
आप 29 अप्रैल को जन्में तथा कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएच.डी की उपाधि प्राप्त की। डॉ. अर्पण जैन ने 30 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण आपको विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन द्वारा वर्ष 2020 के अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से डॉ. अर्पण जैन पुरस्कृत हुए हैं। साथ ही, आपको वर्ष 2023 में जम्मू कश्मीर साहित्य एवं कला अकादमी व वादीज़ हिन्दी शिक्षा समिति ने अक्षर सम्मान व वर्ष 2024 में प्रभासाक्षी द्वारा हिन्दी सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं, साथ ही लगातार समाज सेवा कार्यों में भी सक्रिय सहभागिता रखते हैं।
कई दैनिक, साप्ताहिक समाचार पत्रों व न्यूज़ चैनल में आपने सेवाएँ दी है। साथ ही, भारतभर में आपने हज़ारों पत्रकारों को संगठित कर पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग को लेकर आंदोलन भी चलाया है।