आज की सुब्ह बाकी गुजरी सुब्ह से अलग थी, सुब्ह आंख खुली तो एहसास हुआ दर्द का, पूरे शरीर में दर्द हो रहा था ! थोडी देर बाद हुआ वही जिसकी आशंका थी, अब दर्द अपनी सारी हदे तोड़ रहा था, पानी के बिना मछली जेसी हालत थी, बिस्तर पर […]

क्यों नहीं समझ रहे हो मानव मेरी अजाब को, आँचल फैला के माँग रही हूँ आफताब को। क्यों सोच रहा है मानव की हम अग्यार है, इस्तिफाक से नाजिश कर तोड़ दिया साथ को।। क्या मिला तुम्हे हमे अख्ज कर के ज़माने  में, कल्ब तोड़ के गिरिया हम मानव नाफहम। […]

कन्या घर की रौनक है इसे समझ लो खूब जो कन्या का मान करे पून्य मिले भरपूर कन्या थोड़ी भी बड़ी हो ख्याल रखती है सबका घर के काम मे हाथ बटाये दिल जीत लेती है सबका आधी आबादी की प्रतीक बन पूरी आबादी को आबाद करे धर्म परायण रहे […]

ज़रूरी क्या है अभी   आ के लौट जाने की ज़रा सी लाज तो रख लो गरीबखाने     की सुना है वो यकीं जीतने में रखता         है सुना है उसकी भी आदत थी हार जाने  की खुदा ने फिर से बचाया अना परस्तों    से किसी ने आबरू रख ली गरीबखाने     की वो […]

बहती अमिय की धार में , जीवन  के सरस सार में । प्रीति कलश को पूरा भर , अमिय आज थोड़ा छलका दें। जीवन हुआ सिद्धांत हीन, भावहीन और लक्ष्यहीन । डगमगाते इन डगों  को , थोड़ी सीधी राह बता दें । साधलें सुर आज सब वो, छेड़ दें मिल  […]

तोड़ दो हर रस्म और जंजीर को गम मिले जिससे उस तस्वीर को, लह़द में ही जायेगे सभी एक दिन फिर क्यूं तव्ज्जों दे हम वजीर को, सब पर परेशानी आती है जीवन में तो क्यूं ना समझें किसी की पीर को, जिन्दगी जीने के दो तरीके होते है फिर […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।