सत्ता-साम्राज्य से तंग जरूरत की बातें उलझनों में है भाईचारे की बातें। वादे-इरादे भूल गए याद रही बस अपनी-अपनी सौगात की बातें। मर्जी है न अर्जी है न खुशखबरी है याद है बस बदला लेने की बातें। मुक्कदर लड़ता नही रोजगार मिलता नहीं चौक चौराहो पर सिर्फ आरक्षण की बातें। […]

हर सजा हुआ चेहरा गुलाब, सा नहीं होता। हर धड़कता हुआ दिल लाजबाब, सा नही होता। कहते है प्यार करने वाले दिल की धडकनों में टीस उठती है जब कभी कोई दवा भी दिदार सा नही होता हर सजा हुआ चेहरा गुलाब सा नहीं होता हर धड़कता हुआ दिल लाजबाब, […]

हमसफर बनके वो हमसाया न बन सकीं साथ रहकर वो मुझे न समझ सकीं। अब तो राहें है,जुदा-जुदा जैसे, नदी के दो किनारे हो राह देखते ऐसे जैसे, बे-सहारे हो चाहकर भी एक दूसरे की हो न सकीं जैसे, बीच भँवर की मांझी हो हमसफर बनके वो हमसाया न बन […]

जीवन की राग भी बडी सुरीली हो जाती जब आस पास वो खडी हो जाती। बिन बुलाये मेरी टोह मे रहता वो हमेशा मेरी फिक्र करता वो ये विरह की काली रात न होती आँखो से यूँ बरसात की झडी न होती जीवन की राग भी बडी सुरीली हो जाती […]

मै तो लब्ज हूँ असर छोड जाऊँगा चंद लम्हों में वक्त के सिलवटों पर नाम लिख जाऊँगा। उलझना है उलझ जाओ सही रास्तो में मैं ही नजर आऊँगा मैं तो लब्ज हूँ। बात खुद्दारी की है जो मुझमें ही जिन्दा है इंसा नहीं हम जो देखते ही बदल जाऊँगा मैं […]

आज स्वतंत्रता के बहत्तर साल हो गये, फिर क्यों कड़ाहती है जिन्दगी, कहीं सिसकते मासूम तो, कहीं अबलाओं की दुसवार है जिन्दगी, कहीं लाचार तो,कही रफ्तार है जिन्दगी, कहीं भूख तो, कही लूट है जिन्दगी, कहीं द्वेष तो, कही फरेब है जिन्दगी, कहीं योग्यताएँ भरमार है, पर वेरोजगार है जिन्दगी, […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।