भूख बेरहम ही तो है, इंसा को नचा देती है। इसकी ताकत होती है, बहुत गज़ब की साथी, भूख ही झुका देती है.. भूख ही रुला देती है। दो टुकड़े रोटी के ही, चोर का ठप्पा लगा देते.. भूख मजबूर बना देती है। कोई नाचता जश्न महफिल में, कोई बाजारों […]

हमें कुछ नहीं चाहिए, बस लड़की संस्कारी चाहिए.. शादी ऐसी कर देना, दहेज कुछ न देना। बारात की खातिर, अच्छी कर देना.. अपनी बेटी को, जो चाहो दे देना.. बस समाज में मान रख लेना। चाहे दहेज कुछ न देना, जैसी हो रही है, शादी ऐसी कर देना.. चाहे दहेज […]

पानी में कागज की वो नाव चलाना, खेल खेलना और खिलाना.. मजे करते थे हम भरपूर, छल-कपट से थे दूर। खेल-खिलौने, हमारी मिट्टी, नाटक में चंदा मामा को लिखते थे चिठ्ठी.. चोर सिपाही,गिल्ली डंडा,चंगा अठ्ठा मास्साब हमसे कहते थे और पठ्ठा। बरसात में वो भीगना,धूप में वो खेलना, सर्दियों में […]

इंदौर । अहिल्या नगरी इंदौर के हिन्दीभाषी लोगों द्वारा संस्था *’मातृभाषा डॉट कॉम’* के साथ मंगलवार को ‘अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस’ मनाया गया। इसमें हिन्दी पोर्टल ‘मातृभाषा डॉट कॉम’ से जुड़े साथियों ने महात्मा गांधी (रीगल टाकीज) चौराहा पर गाँधी प्रतिमा पर माल्यार्पण कर हस्ताक्षर बदलो अभियान की शुरुआत की गई। […]

अहसास करा दूँ क्या उनको, नानी याद दिला दूँ क्या उनको। समंदर से मोती ढूंढकर दिखा दूँ क्या उनको, हार को जीत में बदलकर दिखा दूँ क्या उनको। प्यार में उनके एक और ताजमहल बनाकर दिखा दूँ क्या उनको, कितना प्यार है उनसे,सीना चीर दिखा दूँ क्या उनको। उनके वगैर […]

लोग गालियां भूल न जाएं,इसलिए कुछ लेखक अपनी रचनाओं में जी खोलकर गालियों को भरपूर इस्तेमाल करते हैं। अगर गालीमार्का लेखक नहीं होते तो बेचारी गालियों का क्या होता? लोग धीरे-धीरे भूल न जाते? जब साहित्य में गालियां थोक के भाव में आएँगी तो अज्ञानी पाठक भी यही सोचेगा कि […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष, ख़बर हलचल न्यूज़, मातृभाषा डॉट कॉम व साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। साथ ही लगभग दो दशकों से हिन्दी पत्रकारिता में सक्रिय डॉ. जैन के नेतृत्व में पत्रकारिता के उन्नयन के लिए भी कई अभियान चलाए गए। आप 29 अप्रैल को जन्में तथा कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएच.डी की उपाधि प्राप्त की। डॉ. अर्पण जैन ने 30 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण आपको विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन द्वारा वर्ष 2020 के अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से डॉ. अर्पण जैन पुरस्कृत हुए हैं। साथ ही, आपको वर्ष 2023 में जम्मू कश्मीर साहित्य एवं कला अकादमी व वादीज़ हिन्दी शिक्षा समिति ने अक्षर सम्मान व वर्ष 2024 में प्रभासाक्षी द्वारा हिन्दी सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं, साथ ही लगातार समाज सेवा कार्यों में भी सक्रिय सहभागिता रखते हैं। कई दैनिक, साप्ताहिक समाचार पत्रों व न्यूज़ चैनल में आपने सेवाएँ दी है। साथ ही, भारतभर में आपने हज़ारों पत्रकारों को संगठित कर पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग को लेकर आंदोलन भी चलाया है।