7

इन्दौर। व्यंग्य विधा के श्रेष्ठ कवि और इन्दौर निवासी समाजसेवी प्रीतमसिंह ‘ज़ख्मी’ का रविवार रात औरंगाबाद में  अकस्मात निधन हो गया है। एक उत्कृष्ट रचनाकार का यूँ  चले जाना शहर,प्रदेश और देश के हिन्दी कवियों, कवि सम्मेलनों और हिन्दी कविता के लिए अपूरणीय क्षति है। ‘मातृभाषा’. कॉम परिवार ईश्वर से […]

जो मेरा था किसी का हो गया है, मेरा यह वहम सच्चा हो गया है। उछल कर आसमां छूने की ज़िद में, वो अपने क़द से ऊंचा हो गया है। बहारें लेके यूं आया है सावन मिरे, आंगन में रस्ता हो गया है। अज़ानों की सदाएं कह रहीं हैं, अब […]

इरादों को मजबूत बना लो, जीवन जन्नत बन जाए। पुण्य कमा लो इस दुनिया में, चरित्र उन्नत बन जाए। बुराईयों का हनन कर लो, जीवन नरक न बन पाए। जीवन की फुलवारी फिर से, स्वर्ग जन्नत बन जाए।।⁠⁠⁠⁠                         […]

वैसे तो अठारहवीं सदी से ही महिलाओं की दीन-हीन दया को लेकर कुछ सुधारवादी लोगों ने चिंता व्यक्त करना शुरु कर दी थी,पर चार लोगों की आवाजे इतने बड़े देश में कौन सुनता है,पर उन्होंने स्त्री मन के किसी कोने में यह आशा जगा दी थी कि, तुम भी इस […]

परिंदों संग हर मस्तियां छोड़ आए गांव में हम कितनी हस्तियां छोड़ आए   यूं तो इक घर की दहलीज छोड़ी थी हमने लगता है अब कई बस्तियां छोड़ आए   उलझनों की ये शब अब नहीं बिताई जाती आम की छांव तले निंदिया छोड़ आए   अब कोई दिल […]

ज़िम्मेदारी नहीं अभी, अपनी बारी नहीं अभी। जैसे-तैसे जीत गए, वैसी पारी नहीं अभी। वक़्त नींद का हुआ भले, पलकें भारी नहीं अभी। अगल-बगल ही प्यादे हैं, मात हमारी नहीं अभी। थोड़ा वक़्त कठिन है बस, पर लाचारी नहीं अभी।   #प्रदीप कान्त परिचय : इंदौर में केट कालोनी निवासी […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।