कुछ लोग मेरी नज़रों से रोज़ गिरा करते हैं, कोई गिरगिट तो कोई मौसम बनकर मिला करते हैं। क्या जान पाएंगे वो लोग मोहब्बत का मर्ज़, इनकी ज़िन्दगी में बिन काँटों के फूल खिला करते हैं। चैन से बैठने नहीं देते किसी परिंदे को, कुछ शज़र बेमतलब हिला करते हैं। […]

दिल गम से टूटा है, चलो हम मना लें उसे.. टूटा है आइना किरचों में, करीने से सजा लें उसे। आइना है कविता मेरी, तेरे उन सवालों का.. जो उलझे हैं बेतरतीब, जेहन में गर्द जालों का। हर अक्स आईने में, अजनबी-सा लगता है.. दिल को बचाकर रखना, वो टूट […]

सरकारी भैंस ने इस पंचवर्षीय योजना में भी पाड़ा ही दिया। चलो पाड़ा दिया तो दिया,पर दूध तो देवे !! जब देखो बाल्टी खाली की खाली। दूध होता तो है,पर देती नहीं है,चुपके से पाड़े को पिला देती है। यों देखा जाए तो पाड़ा अभी सीधा है,अपने बाड़े ही कुदकड़ी […]

मैं जल-जल के हूं हारा, कितनी बार जलाओगे.. मन में जो रावण बैठा है, कब उसे भगाओगे। हर बार जलाया जाता हूं, कैसा अभिशाप मिला मुझको.. मर के भी जिंदा रहता हूं, कैसा यह पाप सिला मुझको। सबने ही दोषी पाया है, मैंने सीता का हरण किया.. नेह की भिक्षा […]

ये रोज हमें आवाज लगाता कौन है, नदी किनारे मीठा गीत गाता कौन है। सुबह नींद से हमें जगाता कौन है, ख्वाब में आता नहीं,ख्यालों में आता कौन है। हमारे नाम से ख़त भिजवाता कौन है, ये रस्ता और वो मंजिल पर पहुँचता कौन है। झूठ बोलकर आया हूँ, तेरे […]

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कुछ हैं मेरे सपने, कुछ सच्चे,कुछ कच्चे.. कुछ खट्टे,कुछ मीठे, कुछ सिमटे,कुछ बिखरे। कुछ अनमने,कुछ अनकहे, कुछ दिखलाते,कुछ धुंधलाते.. कुछ कराहना,कुछ मुस्कुराते, कुछ आते,कुछ जाते। समेटना चाहूँ,तो मुमकिन नहीं, सपनों ने ही बिखेरा है मुझको.. आस और आस,न रहा कोई पास, रुक-रुक के आते हैं। बवंडर-सा मचा जाते हैं, कभी […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।