हर तरफ रंग के निशान थे, मुझे कोई रंग नहीं भाया। कोरी कागज-सी खिड़की पर बैठी रही, क्योंकि वो नहीं आया।। गाँव गलियां रंगीं सारी सखियाँ रंगीं, मैंने आँसू से पलकों को बस रंगा। तुझको क्या है खबर ऐ मेरे हमसफर, सबकुछ देकर भी हमने कुछ नहीं पाया।। जब पूछा […]