वैविध्यमय भारत में भाषाई वैविध्यता विद्यमान है। दक्षिण भारत के तमिलनाडु और केरल को छोड़कर लगभग सभी रज्यों में लोग हिन्दी समझते हैं,लेकिन आजकल हिन्दी के खिलाफ आंदोलन चल रहे हैं।      देश के अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग प्रांतीय भाषाएँ हैं। चाहे वह उत्तर भारत का भाग […]

कभी  है  हांक  लगाता, कभी  सांस   है  खींचे। दांये-बांये,  ऊपर-नीचे देखे  चलते आगे-पीछे। रात-प्रात या घनी दोपहरी। सीमा पर तैनात है प्रहरी। यह न डरता गोली बम से, बना है  यह  फौलादों से। देश बचा है इसके दम से, है लदा फर्ज के वादों से। रात-प्रात या घनेरी दोपहरी। […]

बाँधकर दिल को हमारे, मुक्त ऐसे कर दिया। भूल बैठे फर्क भी हम मुक्त हैं कि कैद हैं। हम कहें तो क्या कहें, जो-जो उन्होंने कह दिया। दर्द भी दिल के हमारे, सर्द हैं खामोश हैं। फासला सोचों का है, छाया है,दिल के दरमियां। कौन सच्चा,कौन झूठा, सरपरस्त यह वक्त […]

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जलती रही जौहर में नारियां, भेड़िए फ़िर भी मौन थे। हमें पढ़ाया गया अकबर महान, तो फिर महाराणा प्रताप कौन थे? हुआ तांडव मुगलों का जब, सारा जनमानस मौन था। हुए बहुत मराठे वीर पर, शिवाजी  सबमें  शेर थे। सड़ती रही लाशें सड़कों पर, गांधी फिर भी मौन थे, हमें […]

तुम्हारे दर पर आकर के भगवन, हौले से तुमको जगा रही हूं, न कुछ मैं जानूँ,न कुछ मैं समझूं, तुम्हीं से तुमको मंगा रही हूँ। तुम्हीं सुदामा के मित्र प्यारे, तुम्हीं यशोदा की आंखों के तारे, मेरी भी बिगड़ी बनाओ प्यारे, तुम्हीं से अर्जी लगा रही हूं। तुम्हारे दर  पर […]

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दर्द-ए-दिल हद से गुजरने को है, या ये कहिए कि ठहरने को है। बुलबुले  उठ  रहे  हैं पानी  में, कुछ तो दरिया से उभरने को है। चल किनारे पे खड़े  हो जाएँ, चाँद दरिया में उतरने  को है। कोई हलचल है न कोई जज़्बा, मेरा  अहसास भी मरने को है। […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।