जिन्दगी की राहों में अगर तू नहीं। तो और चलने की अब जुस्तजू नहीं॥ आहिस्ता से छूना पुराना लिबास हूँ। यादों के सिवा अब बची कोई रफू नहीं॥ अजीब सिरफिरा हो गया है मेरा दिल। हर पल तेरी ही याद पर तेरी आरजू नहीं॥ तेरे शहर के लोग जिसे कह […]

पैसा वो चीज है साहब, जिसके बिना सब उदास रहते हैं.. जो इससे दूरी बनाने की सलाह देते हैं, वो ही अधिकतर इसके पास रहते हैं। समय बदला,सदी बदली, बदल गई सूरत है आज इंसानियत की कम, पैसे की ज्यादा जरूरत है॥                 […]

नागपंचमी, झूले का त्योहार है खुशी मनाओ॥ सुखद घड़ी, रिमझिम बारिश नाग पर्व है॥                                                                         […]

जब एक दूसरे की,सोच समान हो, जब एक को,समझने का ज्ञान हो। जब एक दूसरे का,सम्मान हो, तब उस दोस्ती पे,अभिमान हो॥ जब किसी को कोई,तकलीफ हो, तो उसके लिए,हाजिर जान हो। जब कोई समस्या हो, तो उसका तुरंत,आपस में निदान हो॥ दोस्ती स्वार्थसिद्धि की,कोई पूँजी नहीं, बल्कि एक दूसरे […]

जुगनू का सूरज पर कैसे हो जाता अधिकार, तुम हो प्रीत पराई तो मैं क्यों लिखूं श्रृंगार। आधी नींद अधूरे सपने, इस दुनिया में किसके अपने कलियाँ क्यों ना मुरझाएंगीं, सावन भी जब लगते तपने। न तुमसे कोई समझौता न कोई तकरार, तुम हो प्रीत पराई तो मैं क्यों लिखूं […]

प्रेमचन्द अग्रवाल यूको बैंक से सहायक महाप्रबंधक के पद से सेवा निवृत्त हैं,जहाँ ये राजभाषा अधिकारी के रूप में हिन्दी कार्यान्वयन से जुड़े रहे। अम्बाला शहर व अम्बाला छावनी क्षेत्र के महाविद्यालयों और  उच्च विद्यालयों में भी हिन्दी सम्बन्धी कार्य करते रहे हैं। इन्होंने हर विषय के प्राध्यापक  को हिन्दी के […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।