फिल्म समीक्षा ‘गौतमी पुत्र शतकर्णी’ फिल्म अखण्ड भारत की कल्पना को साकार करती तेलगु फ़िल्म है,जो हिन्दी में डब होकर आई है। आप सोच रहे होंगे कि,हॉलीवुड से बॉलीवुड तक पढ़ा जा सकता है लेकिन टॉलीवुड भी,इसकी वजह है इंदौर के कलाकार और शूटिंग लोकेशन महेश्वर होना। इस तेलगु […]

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(प्रेमचंद जयंती पर विशेष) प्रेमचंद के पुनर्पाठ की आवश्यकता आज के संदर्भों में की जानी चाहिए;ये बात सही है,लेकिन आज की स्थितियाँ बहुत से क्षेत्र में मानवीय और भौतिक विकास करने की सोच की दिशा और प्रयत्नों में बदल चुकी हैं। आज पहले से भी अधिक कारगर शोषण के हथियार […]

जब कभी मन उचटता है, तो  प्रेमचंद  याद आते हैं। कहीं हमीद-होरी बनकर तो, कहीं जुम्मन में दिख जाते हैं॥ संवेदना को शब्द देकर गोदान, कफ़न,गबन, नमक का दरोगा। दो बैलों की कथा व्यथित मन, को सामाजिक खुराक दे जाते हैं॥ कलम का सिपाही बन प्रेमचंद, समाज को आईना दिखाने […]

बिखर रहे क्यों देह धर्म से, आत्म धर्म से एक बनो तुम.. परिजन तेरे प्रभु सेवा को, सेवामय सब कार्य करो तुम.. नहीं देह का नाता जग से, श्री हरि से ही सब नाते हैं॥ सभी चराचर प्रभु शरीर हैं, उसके हेतु कार्य करो तुम.. विषम दृष्टि से मत देखो […]

क्यूं कोसते हो उन लम्हों को, वो जिंदगी भी तो आप ही ने जी थी.. क्यूं कहते हो कि मैं मजबूर हूं, वो मजबूरी भी तो अपने सिर आप ही ने ली थी। क्यूं समझते हो उन लम्हों को बैखौफ, उन लम्हों की शुरुआत भी आप ही ने की थी। […]

या कह दो कि नहीं है प्यार। नेह निमंत्रण प्रियवर बोलो, है स्वीकृत या अस्वीकार॥ प्यार करो तो करो……। मचल मचलकर दिल रह जाए, दूरी क्षण भर सही न सही जाए! और परीक्षा कितनी होगी, दारुणदुख प्रिय कितने दोगी? सीधे-सीधे हमसे कह दो, रास न आया मेरा प्यार॥ नेह निमंत्रण […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।