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है वेदना गर मेरे मन में, क्यूं धीर बूंदें खो रही हैं। क्यूं जागती हैं मेरे संग में, जबकि वो सुख से सो रही है॥ सावन की ये ठंडी हवा क्यूं, मुझे ज्येष्ठ की लू लग रही है। है मन मेरा विरह अग्नि में तो क्यूं, न लपटें चैन उसका खो रही […]

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दिल में बसा के आपने अहसान कर दिया, दिल का जो पूरा आपने अरमान कर दिया। पाया जो इश्क़ यार का दीवानी हो गई, दुनिया से हमको यार ने अंजान कर दिया। अब और क्या सबूत दूँ मैं अपनी वफ़ाओं का, जीवन ये सारा प्यार पे कुर्बान कर दिया। तूफान […]

बादलों से उनका लगाव था, दामिनी के प्रति उनका झुकाव था, भ्रामरी से वे बातें करती थी, कोयलिया-सी कूक उत्साह भरती थी, तितलियां भी मदमस्त हो उड़ती थी, पास आकर उनके उनसे जुड़ती थी, अचानक , बादलों का मृदंग बजाना बन्द हो गया, दामिनी का कड़कना मन्द हो गया, भ्रामरी […]

मैं मेरी माँ का अनमोल गहना, फौजी का अरमान तिरंगा हूँ। मैं तीन रंगों में विभाजित,लेकिन एकता का रंग तिरंगा हूँ …….॥ मैं वीरांगना का उजड़ा सुहाग, सोलह श्रृंगार तिरंगा हूँ। मैं देश का गौरव माँ का आँचल, वीरों का लिबास तिरंगा हूँ …..॥ धर्म-जाति से मेरा नहीं कोई वास्ता, […]

और मत सोचो, क्या सोच-सोचकर प्रेम किया करोगे… इन चिड़ियों को देखो, दाना चुगते-चुगते भी प्रेम में होती हैंl उस पेड़ की हर शाख से प्रेम है इनको, जहाँ तिनका-तिनका जोड़ घोंसला बनाना सीखा था इन्होंनेl उन हवाओं से भी प्रेम है इनको, जिन्होंने गिराए थे इनके पहले आशियाने.. बस माँग […]

तेरे हमराह यूं चलना नहीं आता मुझको, वक्त के साथ बदलना नहीं आता मुझकोl     मैं वह पत्थर भी नहीं हूँ कि पिघल भी न सकूं, मोम बनकर भी पिघलना नहीं आता मुझकोl     कीमती शै भी किसी राह में खो जा अगर, हाथ अफ़सोस का मलना नहीं […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।