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९ अगस्त १९४६, माँ की उम्र उस समय २२ वर्ष १ माह और आठ दिन थी,वे प्रसव वेदना से जूझ रहीं थीं। गाडरवारा जो आज भी एक क़स्बा ही है,उस समय एक छोटे से व्यवस्थित गाँव की शक्ल लिए हुए था। श्रावण माह समाप्त होने वाला था,किंतु अपनी विदाई से […]

आई बारिश की फुवार,झूमे–झूमे म्हारो मालवो, म्हारा मालवा को कई केणों,यो तो है दुनिया को गेणों इका रग-रग मे बसयो है दुलार,झूमे झूमे म्हारो मालवोl आई बारिश की……ll मालव माटी गेर गंभीर,डग-डग रोटी पग-पग नीर, यां की धरती करे नित नवो सिंगार, झूमे-झूमे म्हारो मालवोl आई बारिश की……ll यां की […]

हे मात करुणा भाव दारुण नेह की प्रतिमूर्ति तुम, गात की सौगात माते प्राण की स्फूर्ति तुम। तात के पदचिह्न मेरी राह की ज्योति बने, और गुरुवर के वचन जो प्रीत के मोती बने। हे प्रभु सब आपके उपकार का परिणाम हैं, और मन के भाव में प्रिय आप ही […]

दर्शन से तेरे मिलता है चैन,बिन दर्शन के राहु बेचैन। चंद्रा प्रभु भगवन की,महिमा ऐसी जो है गा रहा संजय है, ऐसी महिमा को॥ दर्शन से तेरे मिलता है चैन,बिन…॥ ऊँचे-ऊँचे पर्वत,पर तेरा बसेरा है। चढ़ न पाऊं मैं,जब तक तेरा सहारा न हो कैसे करूँ, तेरा दर्शन। मार्ग दिखाओ […]

मैं केवल अहिल्या क्यों बनी? तुम्हारे स्पर्श की आस में, मैंने सदियां बिताई है। पूछूं किससे ? मेरी नियति प्रस्तर होना थी, मेरे प्राण क्यों शुष्क माने.. जो मेरे स्वामी थे? क्यों नहीं जाना सत्य, क्या था वो पटाक्षेप सिर्फ मतिभ्रम और क्या मेरा दोष? मैंने तो निभाई थी निष्ठा […]

यों बदलती थातियों की मैं गवाही दे रहा हूँ। सद्भावना घर-घर में फैले आवाजाई दे रहा हूँ॥ उठना पड़ेगा आज तुमको गिरती हुई दीवार साधो, तोड़ डालो जुर्म का मुंह,तानाशाही दे रहा हूँ॥ लौट आएगा किसी दिन भटका हुआ मेरा मसीहा, आज इस वाज़िब वजह से वाहवाही दे रहा हूँ॥ […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।