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कम्बख्त ये ज़िन्दगी भी कितने दर्द देती है, कभी भूले तो कभी बिछड़े देती है।     बचपन में यारों की पीठ पीछे खिलौने देती थी, अब तो पीठ पीछे यारों के हाथों में ख़ंजर देती है।     बचपन में गुड्डे-गुड़ियों की शादी में नाचते थे, अब तो मालिक […]

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मानव विकास का सुंदर अवतार नारी, दिव्य छवि मिटाती  है अंधकार नारी। भीतर  प्रभु  शिशु  बन  आए देखो, वक्ष अमृत बना  पी ली ममता  सारी। धैर्य, विश्वास विष भावों की अंतर्यामी निम्न पुरूष करता तुम  पर मनमानी। छिन्न-भिन्न  बिखरती   नहीं   पलों में, तपकर बनाती साधन रिश्तों  की रानी। […]

यह शहीदी चमन है,अमन कीजिए, बीज विष के यहाँ मत वपन कीजिए। निज सुरभि से सुवासित करे विश्व को, ऐसा मिल बैठ कर कुछ यतन कीजिए॥ वत्सला मातृ भू को नमन कीजिए, धो के पावन चरण आचमन कीजिए। तोड़ विष दन्त दो जिस किसी के भी हों, इनके डसने से […]

  यह देख रहा है आंख फाड़ इसकी नीयत में खोट लगे, सन बासठ वाली भूले याद उन यादों को भी चोट लगे। जब हिन्दी चीनी भाई थे हमने सर्वस्व था सौंप दिया, तू निकला क्रूर घमंडी तूने छुरा पीठ में घोंप दिया। इस विस्तारवाद की नीति से न चीन […]

माना गुस्ताखियाँ बहुत हुईं मुझसे, कहीं  दिल आपका दुखा तो नहीं। हमने बिछाए फूल आपकी राहों में, बताएं  कोई काँटा लगा तो नहीं। उनको ढूंढते ज़माना है गुजरा, हमनवां कोई अभी मिला तो नहीं। बड़ी संग-दिल खुदगर्ज़ है दुनिया, कोई हमदर्द हमें दिखा तो नहीं। तक़दीर पर जब किया यकीं […]

मैं तो अछूत बच्चा हूँ जी, समझ का भी थोड़ा कच्चा हूँ जी। मुझे समझना है कि पापा क्यों पीते हैं, मुझे समझना है कि घर के बर्तन क्यों रीते हैं। मुझे समझना है कि मम्मी क्यों पिटती है, मुझे समझना है कि भूख कैसे मिटती है। क्यों मां मुझको […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।