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कुछ खास नहीं, मेरे लिए तो ख़ुशी का ठिकाना है। ज्ञान का भण्डार, कुछ नया सीखने का आशियाना है॥ कुछ खास नहीं, एक टूटे दिल की कोशिश है। ईद की ईदी जैसी, दीवाली की बख्शीश है॥ कुछ ख़ास नहीं, दिल में दबे एक लेखक की आस है। कुछ अच्छा पढूं, […]

वह आता है, दो घंटे की गार्ड-ड्यूटी बजाता है फिर रेस्ट-रुम चला जाता है हर दो घंटे की ड्यूटी बाद ४ घंटे की तफरी होती है सोचो वह टुकड़ों में रात काटता है जब दुनिया चैन से सोती है। इन ४ घंटों की तफरी में, १ घंटा खुद को समझाओ […]

वो उसका वास्ता देकर आज भी मुस्कराते हैं, दोस्त हैं अपने,कसम से आज भी सताते हैं, इसमें भी प्यार छुपा है इन यारों का, आंसू भी खुद ही देते हैं और मरहम भी खुद ही लगाते हैं॥ यादों का क्या है  हरदम सताती है। माँ की या महबूबा की,दोनों रुलाती […]

कमाया, ठीक कमाया और बहुत कमाया; नाम भी, धन भी। अपनी कला से, किया लोगों का मनोरंजन भी। नगर-नगर गलियों-गलियों, में खूब मचाई धूम। पुरस्कारों से सजा, तुम्हारे घर का ड्राइंग-रुम। अब तुम अपने-आप को समझ बैठे सरताज़। वक्त़ को ही मान बैठे तुम, अपना ही दास। वक्त़ ने बदली […]

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सुनो….. क्या जानते हो तुम एक औरत की खूबसूरती क्या है! नहीं जानते तुम सुनो……. खूबसूरती औरत की हर कहीं दिखाई देती है, उसमें कभी देखा है माँ को अपनी दुनिया की सबसे खूबसूरत औरत, उसका बोलना उसकी आंंखें बरसाती प्यार तुम पर बोलकर भी बिन बोले भी उसका दौड़ना […]

बेहद उदास असमर्थ-सी उन बेपरवाह उबड़-खाबड़ संकरे-चौड़े घुमावदार रास्तों से भागते-दौड़ते आगे ही आगे उन्नति के लिए सिर्फ अपने ही बिषय में सोचते उपेक्षित करते जाते उसमें भरते जाते जहरीली निशा निरर्थक और व्यर्थ समझ उसकी चमक सौंधी गंध खो रही है खो गई है वो मुस्कुराने की आस में […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।