थोड़ी-सी गलती मेरी है,और तुम्हारी भी थोड़ी-सी। कौन मगर गलती करके भी,अपनी गलती को स्वीकारे॥ हमने अपनी मन तृष्णा के, घोड़े जीवन भर दौड़ाए। मैं भी राम नहीं बन पाया, तुम भी खुदा नहीं बन पाए॥ हम दोनों ही भौतिकता की, चाहत की चाहत से हारे। कौन मगर गलती करके […]

साँसों की बज रही बाँसुरी गूंज रहा है मन-वृंदावन, तड़प रही प्राणों की राधा जाने कहाँ छिपा मनमोहन। छलिया तन-कदम्ब पर बैठा रचता चीरहरण की लीला, कर्मों की यमुना में डूबा हर गोपी का तन-मन गीला। हर आँचल में भरी निराशा, सिसक रहा है आँगन-आँगन॥ सम्बन्धों की इस मथुरा में […]

भोर का खुला आसमान नव प्रभात की बेला में, दोनों हाथों को फैलाकर उड़ जाऊँ पंछी बनकर, और नाप लूँ नभ को उम्मीदों के पंख लगाकर। इस छोर से उस छोर तक दूर क्षितिज में खो जाऊँ, अपना अतीत बनकर या में तितली बनकर, मंडराऊँ फूल-फूल पर। रंग-बिरंगे फूलों की […]

हम उस धरती पर जन्मे हैं, हुए जहाँ तेजाजी हैं, गौ माता को बचाने वाले,ददरेवा के गोगाजी हैं। बैलों की पूजा करवा दे,लोक अजर हरबुजी हैं, शरणागतों की रक्षा करते,कोलू में पाबूजी हैं। जब-जब दुग्ध दिया है तुमको,गौ माता कहलाई है, क्या है अपराध मात का जो,काटे आज कसाई है। […]

शहर के नामी अस्पताल के, वीआईपी कमरे के बेड पर, अनेक आधुनिक मशीनों  से, घिरा मैं घड़ी  की सुईयों  को, ताकता हुआ गिन  रहा  हूँ, अपने  जीवन  के अंतिम  पल, टिक-टिक  की  आवाज… साफ  गूँज  रही  है, मेरे  कानों  में डाक्टर-नर्स  भी, दवा  देकर थककर जा चुके हैं मुझे, शायद […]

  तेरे ज्योतिर्मय शतदल पर,          करतल बीन बजाती है माँ। तेरी जीवन देव धुनी में,         सारे उर पत्थर बह जाते। कठिन कुलिश जगती के जितने,     कोमल संजीवन बन जाते॥ मन में उर्मि जगाती आती,       उन सुकुमार स्वरों […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।