गुरुग्राम के निजी स्कूल में हुई अत्यंत घृणित और नीच हरकत ने पूरे देश के पालकों को डरा दिया है,मगर आखिर कब तक हम लचर और लाचार व्यवस्थाओं की सड़ी-गली बदबूदार गलियों के चक्कर खाते शिक्षा के सुधरने की बाट जोहते रहेंगे। एक अंधी होड़ है बस कैसे भी करके […]

हे प्रियतमा! मैं कैसे कहूँ, कुछ कहूँ या चुप रहूँ।   मैं चाहता हूँ कि, मैं कृष्ण बनूँ तुम राधा बनो, मैं राम बनूँ तुम सीता बनो, मैं रांझा बनूँ, तुम हीर बनो… लेकिन! उलझन में हूँ, कि, कहीं! तुम्हें खो न दूँ, क्योंकि? कृष्ण का प्यार, राम का प्यार […]

जग में जिससे आशाओं की, किरणें होती हैं जगमग है जगजननी धरा में वह, सर्वत्र पूजते उसके पग। शिक्षा के दीपक से ही, उजियारा जीवन कर दो बेटा-बेटी भेद न करना, सपनों के संसार में मुझको पंख लगाकर उड़ने दो, पवित्र रिश्तों के बंधन को, संजोए हूँ मैं पग-पग। जग […]

साँसों में मन्द सौरभ भरकर, लुक-छिपकर चलते हो क्यों?        हे,लाज भरे सौंदर्य बता दो,         ‘मौन’ बने  रहते  हो क्यों ? पूर्ण चंद्र की धवल चांदनी, अदृश्य बने रहते हो क्यों?       पंथ आपका निर्बाध,फिर,       कदम पीछे हटाते हो […]

वो तीनों समाज की प्रतिष्ठित महिलाएं थी। सम्भ्रांत और आदर्श परिवार की मुख्य महिलाएं। समाज और परिवार में परिचित और आदरणीय। समाज के हर खुशी और गमी के कार्यक्रम में शामिल होती। तीनों की दोस्ती जगप्रसिद्ध थी। समाज की किसी भी बैठक में,कार्यक्रम में हमेशा सुझाव दिया करती और समाज […]

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  वृक्ष की शान पे हमेशा मुस्कराई पत्ती। द्रवित हुई विछड़ कर वृक्ष से गिरी पत्ती।। हवा ने भी खूब इधर-उधर नचाई पत्ती। हाल पर अपने विचलित छटपटाई पत्ती।। तभी वृक्ष ने वहीं से आस जगाई उसकी। थी अभी तक मेरा जीवन आधार तू पत्ती।। व्यर्थ न जीवन अब भी,तू […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।