रहे पल्लवित-पुष्पित यह, राष्ट्र जीवन की  फुलवारी। विविध प्रान्त हैं सुमन मनोहर, खुशबू है सबकी न्यारी॥ भाषाएँ कई रम्य मनोरम, बोलियाँ कई यहाँ अनुपम। छह रितुएँ धर्म सात संग, है कहीं नहीं ऐसा दम-खम॥ फूटी सभ्यता किरण यहीं, जगे हम फिर जगत जागा। धर्म ज्ञान विज्ञान कला में, नित बढ़ते […]

बैठ कभी भी फुर्सत में, तुम सम्बन्धों की बात न करना। सम्बन्धों के समीकरण तो बदल रहे हैं॥ ठंडे झोंकों से जब मैंने, केवल तेरा नाम सुना था सतरंगी तब सपनों का, कोरा-सा इक जाल बना था मोहनी बन्धन मुस्कानों की बात न करना। मुस्कानों के अलंकरण तो बदल रहे […]

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बी.डी. व्यास जी की धर्मपत्नी बड़ी शक्की मिजाज थीं। उनके शक की दवा तो हकीम लुकमान के पास भी नहीं थी। व्यास जी को कार्यालय से आने में जरा देर क्या हो जाती, श्रीमती जी अप्रत्याशित प्रश्नों की झड़ी लगा देती। भूले से कहीं ज्यादा देर लग जाती,तो वे कोप […]

अनाथ बच्चों का कोई क्यूं नहीं होता,नाथ, उन रोते बच्चों के सिर पे रखने के लिए क्यूं कोई नहीं होता,हाथl हम हमेशा गर्व से बोलते हैं सबसे बड़ा है हमारा,धर्म, तो उन अनाथ बच्चों पे कोई धर्म, क्यूं नहीं करता,रहमl मूर्तियों को करोड़ों के कपड़े पहनाकर हम बढ़ाते हैं समाज […]

हिन्दी को प्रचलित तौर पर माथे की बिंदी कहा जाता है। जिस तरह सही बिंदी लगाने मात्र से नारी का व्यक्तित्व प्रभावशाली हो जाता है,ठीक उसी तरह हिन्दी भाषा के शुद्ध प्रयोग से साहित्य और हमारे लेखन की महत्ता भी बढ़ जाती है लेकिन आज देखने में यह आ रहा है कि इसके मूल […]

￰किसे तू रोज़ ऐ दिल ढूंढ़ता  है, कहाँ सहरा में महफ़िल  ढूंढता हैl  मुकम्मल  तू कभी न हो सकेगा, वज़ह क्या है कि हासिल ढूँढता हैl  बड़ी हैरत सभी को हो रही है, समंदर आज साहिल ढूंढता हैl कहीं छिप जा,नहीं तो क़त्ल होगा, तुझे हर शहर क़ातिल ढूंढता हैl […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।