तो बस युद्ध जारी है…, विराम कहाँ… हो चाहे सांझ समर में…, विराम कहाँ…l मैदान कहीं…, संग्राम कहाँ… भाले,बरछी और गदा…, तरकश के हैं तीर कहाँ…l चट्टानों-सा सीना लेकर…, डटे हुए सैनानी हैं… तकरार नहीं कोई…बैर कहाँ… बस युद्ध…युद्ध…युद्ध, विराम कहाँ ?                             […]

माँ… इतनी भक्ति देना कि,विश्वास आप पर हर पल बना रहे, इतनी शक्ति देना कि,हर संकट से मुकाबले को तैयार रहें इतना ज्ञान देना कि,अंधेरों में राहों को ढूंढ पाएं, इतना साहस देना कि,चुनौतियों को भी चुनौती दे पाएं…l माँ… इतनी श्रद्धा देना कि,श्रद्धेय को पहचान लें, इतनी करुणा देना […]

टोरोंटो। अखिल विश्व हिन्दी समिति, टोरोंटो का अष्टम वार्षिक अधिवेशन व ‘विश्व कवि सम्मेलन’ १६ सितम्बर को सिंधी गुरु मन्दिर(टोरोंटो) के सभागार में भारत से आए अखिल विश्व हिन्दी समिति के अंतर्राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. दाऊजी गुप्त की अध्यक्षता व गोपाल बघेल मधु के संचालन में किया गया। कनाडा की सीनेटर […]

आज फिर वो फूट-फूट के रोया, सब्र का बांध था, टूट ही गया। कब तक संभालता वक्त के थपेड़ों से, बार बार ठोकरें लगी टूटा बिखर गया। बहुत मजबूत वजूद था उसका, गैरों में कहाँ दम,ठोकर तो अपनों की थी। जब भी मिलता था गमों से राह में, मुस्करा के […]

अक्सर ही हम, रोना रोते रहते हैं अपनी फूटी किस्मत का, चाहे हमको मिला हो कितना भी,अधिक क्यों नl नहीं होता आत्मसंतोष, कभी भी हमको। चाहते ही हैं- और अधिक,और अधिक। ये कैसी चाहत है,सोचा है कभी!                            […]

लगती हमें कभी-कभी आसान ज़िन्दगी, लगती  हमें  कभी यहां  हैरान ज़िन्दगी। रफ़्तार से चला समय मालूम ही नहीं, कब भीड़ से हुई यहां वीरान ज़िन्दगी। हर रोशनी के बाद तम की रीत क्यों यहाँ, है  मुस्कुराहटों में परेशान ज़िन्दगी। इस ज़िन्दगी को ज़िन्दगी भर चाहते सभी, बस चार दिन रहे […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।