सृष्टा की नरम कल्पना नारी, सॄष्टा की ओर चाहना नारी। सृष्टा की आराध्या नारी, सॄष्टा मन भावना नारी॥ मानव मन की अर्चना नारी, नित्य प्रति उपासना नारी। जीवन की है भूमि नारी, सुंदर मन की उर्मि नारी॥ एक हवा का झोंका नारी, मृगतृष्णा-सा धोखा नारी। रौरव नर्क द्वार है नारी, […]
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तुम्हें अच्छी नहीं लगती, पक्षियों की स्वच्छंद उड़ान क्योंकि-तुम, उड़ ही नहीं सकते। तुम्हें भाता नहीं है, पक्षियों का निडर होकर चहकना, क्योंकि-तुम जहाँ गंभीर हो, वहाँ महज़ दिखावा है। तुम्हें पसंद नहीं आता, पक्षियों का कतारवद्ध अनुशासन, क्योंकि-तुम जहाँ पर सख्त़ हो,वहाँ साम्राज्य है तुम्हारे ही अड़ियल स्वभाव का। […]