विश्व धरातल पर तुम, मानवता का उदघोष कर दो। सृजन के संसार में तुम, अमिय की रस धार भर दो। संसार सृष्टिकर्ता का, स्वप्न है साकार, गिरि भूमि सागर वन-उपवन रचे विविध आकार। चर अचर बहुजाति जीव, सबमें सुन्दर तम मानव है विकसित बुद्धि विवेकशील कर्म पथ का साधक है। […]