विश्व धरातल पर तुम, मानवता का उदघोष कर दो। सृजन के संसार में तुम, अमिय की रस धार भर दो। संसार सृष्टिकर्ता का, स्वप्न है साकार, गिरि भूमि सागर वन-उपवन रचे विविध आकार। चर अचर बहुजाति जीव, सबमें सुन्दर तम मानव है विकसित बुद्धि विवेकशील कर्म पथ का साधक है। […]

शब्द-साधना, ब्रह्म-साधना। यही तो है बस, स्वयं-साधना॥ शब्द मेरे पास आओ, अरे ! प्यारे शब्दों, मेरे पास आओ। कोई गीत,कहानी,कविता सुनाओ॥ मधुर तुम, मधुर तुम, रसीले बहुत हो। सरल तुम, सहज तुम, रंगीले बहुत हो॥ मिसरी से मीठी, हमें तान सुनाओ। अरे ! प्यारे शब्दों ,मेरे पास आओ॥ तुम ही […]

रह-रहकर स्मृतियाँ कुरेदती हैं कभी मन्द गति,कभी बढ़ते आवेग में। सूना है मन का निलय, जाने कहाँ हुआ विलय बात-बात में नाम जुबाँ पर॥ . कभी खुशी से,कभी गीली कोरों संग, चाहता है मन बीते पल वापस मिल जाएं। कभी तुम,कभी यादें रहे संग, सूरत-सीरत सब एक जैसे सखी दन्तरिम […]

अभी छह महीने पहले ही आत्मविश्वास से लबरेज़ मिठाई की दुकान वाले लालाजी की जुबान पर एक ही बात चढ़ी रहती थीl अपने घनिष्ट मित्रों से वो कहते नहीं थकते थे कि-`अपनी छोरी को प्राइवेट से बी.ए. पास हुई गयो हैl अब ई के हाथ पीलो करी देनो हैl एक […]

कूड़े-कचरे से अपनी जिन्दगी को ढूँढती हुई, पग-पग पर ठोकर खाती हुई,जब उस महिला को देखती हूँ गरीबी हटाओ के नारे पर सोचती हूँ। उसके फटे-पुराने कपड़ों से, जब झाँकती है उसकी जवानी राह चलते हुए लोगों की आँखें, लुक-छिपकर उसी को निहारती हैैं उसके गंदे कपड़ों और देह से […]

      देश के छोटे से छोटे गाँव से लेकर बड़े से बड़े मुम्बई,दिल्ली,बेंगलूरु, कोलकोत्ता,अहमदाबाद,शिलांग,श्रीनगर जैसे शहरों में हिंदी को जान सकते हैं, समझ सकते हैं,हिंदी में भावनाओं का आदान-प्रदान कर सकते हैं। अपवाद के रूप में तमिलनाडु और केरल के राज्य आते हैं। देश की जन-जन की भाषा […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।