हिंदी न सिर्फ भाषा है, ये हमारी माता है। कुछ मंदबुद्धि इंसानों के कारण, आज इसकी हो रही उपेक्षा है। माँ के प्यार में, पापा के दुलार में बड़ों की डांट-फटकार में, प्रत्येक रिश्ते में हिंदी बसता है। युवा अंग्रेजी पर अभिमान करता है, हिंदी बिना उनका अधूरा ज्ञान रहता […]
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मैं एक गृहिणी हूँ,और हिन्दी को राष्ट्रभाषा रूप में प्रचारित एंव प्रसारित होने और न हो पाने के कारणों पर मेरा दृष्टिकोण,भाषा अधिकारियों से वैभिन्यता रखता हो,उनकी दृष्टि में उतना तर्कसम्मत और वैज्ञानिक न हो,इसके बावजूद मेरा दृष्टिकोण एक आम भारतीय समुदाय का प्रतिनिधित्व अवश्य करता है, ऐसा मेरा मानना […]