घर का दीपक, बेटा होता है। कुटुम्ब परिवार का नाम चलता है। बेटी तो शादी के बाद पति के घर चली जाती है। ससुराल में अपना ही घर-परिवार बसाती है। सदियों से ये परम्परा, चली आई है चलती जाएगी, कानून में भी मान्यता है। बेटी से भी ससुराल में, […]
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(रस-श्रृंगार रस (वियोग श्रृंगार),वियोग श्रृंगार का पहला प्रकार-पूर्वराग,आलंबना -कृष्ण,उद्दीपन-एकांत,ऋतु,अनुभाव- निष्प्राण और संचारी भाव-जड़ता है) विरह हृदय पर नयन पसारो॥ श्यामल अंबर वृंदावन है,आओ कुंज विहारो। कंचन तन अरु मन मधुवन है,आकर मोहिं निहारो, सकल जगत निष्प्राण हुआ ज्यों,उर जड़ता को हारो। राधा हूँ, पिय अंतर्मन की, इव दुख बोझ उतारो। […]