चारपाई पर लेटी बुधिया साफ़-साफ़ देख रही है कि,अखबार बांचता दिन अब ऊंघने लगा है और दिन की लालिमा मानो रात की कालिमा में तेजी से समाती जा रही होl देखते-ही देखते अंधेरा तिर आता है…उसके आसपास और उसके अंदर भी,लगा जैसे कालिमा उसके जीवन का एक अभिन्न अंग बन […]

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हौंसलों में मेरी उड़ान अभी बाकी है, अभी टूटा नहीं हूँ,जान अभी बाकी है। रुठकर क्यों गया,आजा ये मेरा आखिर है, तुझे मनाने का अरमान अभी बाकी है। वहां तो बनने लगे शीशमहल अब सबके, गांव में अपना एक मकान अभी बाकी है। बेचने के लिए अब तो शहर में […]

तुम्हारी दरकिनार जिंदगी से मुझे कोई शिकायत नहीं, लेकिन एक दर्द है जो अंजाने में मेरे दिल से निकलकर होंठों पर बरबस ठहर जाता है…। जिस साहिल पर हमने मुहब्बत के घरौंदे बनाए, आज वहां उड़ती हुई रेत के सिवा मुझे कुछ दिखाई नहीं देता, लेकिन इन आती-जाती हवाओं में […]

रेशम से बाल और  गाल गोरे-गोरे लगे, कल्पना में मेरी  रति-सी लगती हो तुम।  कमर को देखूं तो लगो तुम सरिता-सी,  आँख देख मृगनयनी-सी लगती तो तुम। हाथ-पैर तेरे कल्पवृक्ष की शाखा से लगे, बदन को देखूं तो गुलाब लगती हो तुम। अंग-अंग देख के मदहोश होय मेरा मन,  चाहत […]

इस बार दिवाली पर जमकर खुशी मनाना तुम, खुशी की ख़ातिर बस मिट्टी के दीए जलाना तुम। राम आएंगे तुम्हारे घर लेकिन राम किसी के बन जाना तुम,  जो तरसे हैं रोटी को,उनकी रोटी का साधन बन जाना तुम। जो जला रहे हैं देश को,उस देश का सामान न जलाना […]

प्रेम समर्पण है, अधिकार नहीं। प्रेम पावनता है, वासना नहीं। प्रेम शक्ति है, कमज़ोरी नहीं। प्रेम त्याग है, स्वार्थ नहीं। प्रेम तृप्ति है, प्यास नहीं। प्रेम शीतल है, ताप नहीं। प्रेम छाँव है, धूप नहीं। प्रेम विश्वास है, फ़रेब नहीं। प्रेम व्यापक है, संकुचित नहीं। प्रेम गंम्भीर सागर है, चंचल […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।