हे ईश्वर ये किस जगह पर हूँ मैं, मैं स्वयं को ही खोज नहीं पाता… मद्धिम-मद्धिम है ये सांसें अब तो, स्वयं मैं कुछ भी सोच नहीं पाताl            उसकी स्मृति में ही अब हर क्षण है, पृष्ठों में मात्र वो ही नजर आता…            लिखना तो एक ढेर चाहता […]

विचित्र विडंबना… कौमार्य को तुमने शरीर तक सीमित कर दिया, कर दिया सीमित अखिल प्रेम.. जो हो सकता था, मेरा प्रेम तुम्हारे लिए। जो सिंदूरी हो सकता था, तुम देखो भीतर मन प्यासा-सा रह गया। भ्रमित-सा, मन का क्षितिज रह गया, शरीर की परिधि तक न स्वीकार करो… समझो तो […]

कब से हूँ सोच रहा,उसको मनाने के लिए, कुछ नया और बता,उसको बुलाने के लिए। यूँ बेसबब सोने लगी,साहिब ये किस्मत मेरी, मैं दर-बदर फिरता रहा,उसको जगाने के लिए। बोझ-सी लगने लगी,ज़िन्दगी मेरी मुझको, सबमें एक मैं ही दिखा,उसको सताने के लिए। उससे शर्त ये थी लगी,कौन पहले भूलेगा, खुद […]

मन के कोने में भी तुम एक दीप जलाना सीख लो, आग में तन को तपाकर फिर गलाना सीख लो। फूलों की खुशबू मिलेगी ज़िन्दगी की राह में, पहले काँटों की डगर पर पग चलाना सीख लो। क्या हुआ जो रात का घनघोर अँधेरा छा गया, जुगनुओं-सा खुद को थोड़ा […]

देश के एक राज्य में परिवारवादी दल को चुनाव के समय अपनी कुर्सी कैसे बचे,इसकी चिन्ता हुईl पहले परिवारिक बरतन यात्रा निकाली,परिणाम `ढाक के तीन पात`। आवाजें रात-दिन ठन-ठन-ठन। मन-मस्तिष्क पर बल पड़े। एकान्त में मिले,पटकथा लिखी। अगले दिन नाटक मंचित हुआ। एक ने एक समुदाय,दूसरे ने एक समूह को […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।