कभी-कभी औरत के हाथों की चूड़ियाँ बन जाती है हथकड़ी, कभी-कभी औरत के पाँवों की पायल बन जाती पाँव की कड़ी। जिंदगी जीती है औरत,पर नासूर की तरह रिस-रिसकर, काजल बन जाता है,रात का अंधेरा, नीर बहाती हैं आखें बड़ी-बड़ी॥ मांग में लगता है,सिन्दूर किसी अंगार की तरह दहकता-सा, […]