जीवन के अनजाने पथ पर,उम्मीदों की गठरी लादे। हर कोई बस ढूँढ रहा है,अपने सपनों की मंजिल को॥ जीवन के अथाह सागर से तर जाने की चाह लिए सब। तूफानों से टकराते हैं घर जाने की चाह लिए सब॥ लेकिन कहाँ सभी पाते हैं,बाधाएँ तर कर साहिल को…, हर कोई […]

वीणावानी सुर मधुर विकास दे, श्वेतवस्त्री ज्ञान को निखार दे। वाणी मुझे ऐसी दे जो ओरों को प्रखर सके, विद्या दे तो ऐसी दे जो ओरों को समझ सके। खुद से पहले दूसरे का;ऐसा भी तू ज्ञान दे, होगा सर्वसम्मति से ऐसा वरदान दे॥ शारदे माँ! सत्यता रहेगी पूरी सृष्टि […]

  दैनिक का यही निकला परिणाम अंत में, दिन डूब गया हाथ लगी शाम अंत में। दुनिया से दिल लगाने का अंजाम यह हुआ, फोकट में हो गए हम बदनाम अंत में। विश्वास किया जिस पर हद से भी जियादा, इज्जत लिया उसी ने सरेआम अंत में। आंखों में आंसूओं […]

नदिया का किनारा,साथ तुम्हारा साथी, ह्रदय की गहराइयों की थाह लगाते साथी। दूर क्षितिज भ्रुहरेखा-सी तरुमालिका दिखती, विस्फारित नयनों में पूरा संसार समेटते साथी। . देख लघुतरुणि असंख्य शब्द साथ चलते साथी, विश्वास की लग्गी से गहराई की आँक लगाते साथी। अदभुत है यह जीवन अदभुत सुहाना संसार साथी, पुलिनों […]

गधे में गधापन, कुत्ते में कुत्तापन कूट-कूटकर भर गया है। पर अफसोस मानव से, मानवपन कितना पिछड़ गया है॥ कहने को उन्नतिवान,ज्ञानवान, सभ्यवान कहलाता है। पर देख जरा तू अपने-आप में कितना सिमट गया है॥                               […]

मैं जितना रोकना चाहूँ वही हर बार होता है। करे मुझसे जो नफरत है उसी से प्यार होता है॥ समझ पाया नहीं अब तक खुदा तेरी खुदाई को, उसे इनकार होता है मुझे इकरार  होता  है॥ दुधारी इश्क़ खंजर है शिकारी खुद ही कट जाए, किया जो इश्क़ है तुमने […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।