जितना जीना चाहो जी लो, जिन्दगी न मिलेगी दोबारा। एक बार ये पंछी उड़ा तो, हाथ नहीं आएगा दोबारा। सब कुछ फिर मिल जाएगा, मां-बाप नहीं मिलेंगे दोबारा। दरकने मत देना इस डोर को, टूटे रिश्ते जुड़ते नहीं दोबारा। शुक्र है सांसें आ-जा रही हैं, रूकी तो चलेगी नहीं दोबारा। […]

जो सियासत के सांचे में ढल गया, हाँ, वही तो इस दौर में चल गया। यहां उसूलों की बात सुनता कौन है, शख्स जी हुजूरी वाला पल गया। ये कलम,तक़रीरें भी ख़ौफ़ज़दा हैं, जाने कौन कब जहां से टल गया। मासूम भी हो रहे हैं हवस के शिकार, अब नैतिकता […]

है अविरल-सी तू कोमल बोली, गठित पाट की जैसे सुंदर डोली। सरल सौम्य की सुता वास्तविक, नित्य जीविका गद् पद्य सात्विक। है यथार्थ का विश्वास मनोरथ, कई मंतव्यों से गंतव्यों तक। जैसे गमन विहार में युक्ति सूचक, वैसे युद्ध प्रहार से मुक्ति बोधक। कष्ट निवारक दिव्य परिणामक, है विश्लेषक विभक्त […]

धूप न आसमां मेरा है, न ये सूरज ही मेरा है…. है बदलियां ही मयस्सर मुझे… कि तू ही बता, धूप का वो टुकड़ा कहां से लाऊँ मैं….? ढलती हुई-सी शाम में सांसें दगा कर रही हैं…., फिसल रही है दामन से…. थोड़ी-सी छोर में उलझ रही है…., देखो वो […]

ये जमाना तितलियों की बात करता है, तो इशारा बिजलियों की बात करता है। यहां अजनबी लहरें बह आती हैं क्योंकि, किनारा भी मछलियों की बात करता है॥ रातों में दिखे थे वो उलझते हुए तब से, अंधेरा भी मकड़ियों की बात करता है। जिसे छोड़ आए हम कहीं दूर […]

दस्तावेजों की खातिर मैंने, संदूक खोला था आज। दस्तावेजों में पड़ी डायरी, न जानूँ मैं,किससे थी आखिर नाराज। कुछ पन्नों में इत्र की खुशबू थी, तो किसी में,था शब्द-सुरों का साज। पन्नों में अतीत सिमटा था मेरा, हर पंक्ति हर शब्द में जिक्र तुम्हारा। यादों के झरोखे में,मैं झूम रहा […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।