चंचलता या मुस्कान मेरी, मेरी आभा ओ शान मेरी, सब कुछ जो है सरलता मेरी, मेरा मुझमें जो भी है मुझसा ही तो है, मैं बदलूं खुद को क्यों किसके लिए, मेरा मुझमें जो भी है मुझसा ही तो है, चाहे कोई मुझे या न चाहे मैं खुद को ही […]

समय के कोरे कागज पर, नित नया इतिहास लिखें। मन के प्यासे अधरों पर, हम गीतों की प्यास लिखें॥ पल-पल घटते जीवन की, स्वांस-स्वांस का मोल लिखें। मन के प्यासे अधरों पर, हम गीतों की प्यास लिखें॥ ये तेरा और ये मेरा, सब असार का सार लिखें। मन के प्यासे […]

भाग-१ बस्ता,जिसे अँग्रेज़ी में बैग और हिंदी में थैला बोलते है,पर मुझे बस्ता बोलना पसंद है,क्योंकि जब छोटे थे,शाला जाते थे तो इसे बस्ता बोलते थे। पता है ये बड़े काम की चीज था,तब भी और अब भी। बड़े होते गए और बस्ते बदलते गए। कई बार मार भी खाई […]

तथ्यों के अनुसार १८५८ में इंडियन एजुकेशन एक्ट बना,जिसको लॉर्ड मैकाले ने बनाया। इसे बनाने के पूर्व १८२३ में थॉमस मुन्द्रो और लिटेनर ने  एक सर्वेक्षण किया। सर्वे के अनुसार मुन्द्रो जिसने दक्षिण भारत का सर्वे किया १०० फीसदी साक्षरता थी (और पूरे भारत में सिर्फ जैविक पदार्थ खाते और […]

यह महफिलें यह रौनकें सब छोड़ो साथियों और तनिक मष्तिष्क पर ज़ोर डालकर सोचो यहाँ कोई लेखक कागज कलम दाल रोटी की जुगाड़ में जिम्मेदारियों के बोझ तले दबकर कर देता है कतल अपने भीतर बैठे रचनाकार का। जहाँ, आतंकवादियों से जूझते हुए हो जाता है रोज़ाना शहीद किसी का […]

‘चाहतें’ सदा इतिहास गढ़ती हैं,  दिल की किताब कोरी वे पढ़ती हैं। चाहा था सिया को राम ने, राधा को श्याम ने। मीरा भी बावरी बनी, रटन मोहन के नाम में। चाहत न जब पैदा हुई, थी दिल  के मकान में। राह प्रेय-श्रेय दिखते न, थे जीवन प्रगति मुकाम में॥ […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।