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एक अप्रैल को ही मूर्ख दिवस क्यों मनाते हैं, तीन सौ चौसठ दिन क्या होशियार हो जाते हैं? मुझे तो बचपन से मुर्ख बनाया जा रहा है, चांदी के बदले गिलट का टुकड़ा पकड़ाया जा रहा है। छोटे में माँ से कोई चीज मांगता था,रोता था, माँ बहला देती थी,नहीं.. […]

सरकारी भैंस ने इस पंचवर्षीय योजना में भी पाड़ा ही दिया। चलो पाड़ा दिया तो दिया,पर दूध तो देवे !! जब देखो बाल्टी खाली की खाली। दूध होता तो है,पर देती नहीं है,चुपके से पाड़े को पिला देती है। यों देखा जाए तो पाड़ा अभी सीधा है,अपने बाड़े ही कुदकड़ी […]

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आज सुबह-सवेरे शीतला सप्तमी पर रंजन जी बिना चाय पिए ही श्रीमती जी को लेकर मंदिर पहुँच चुके थे।गुजरी रात को ही स्पष्ट निर्देश मिल चुके थे कि,गैस मत जलाना। महिलाऐं बासोरे और पूजन सामग्री की थाली लिए कतार में थीं और उनके पतिदेव मोबाइल पर बतियाते हुए आसपास ही […]

नमस्कार, समझ नहीं आता कि,कैसे और कहाँ से शुरु करुं, आखिरकार आप लोगों की करस्तानियाँ ही कुछ ऐसी हैं। आप कॉलेजों के बाहर,गलियों के मुहानों तथा नुक्कड़ों पर मिलने वाली वही महान विभूतियाँ हैं,जो लड़कियों का जीना हराम कर देते हैं। यूँ ही आवारागर्दी करते-करते आप को कोई भोली-भाली लड़की […]

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किसी जमाने में वे ‘अबे ओ बच्चा’ थे, फिर बच्चा बाबू कहलाए..सरकार में आ गए तो श्रीमंत बच्चा बाबू हो गए ‘स्मार्ट सिटी’ बनाने का हल्ला हुआ तो अब सर बी.बी. हैं। स्मार्ट सिटी बनाने की जिम्मेदारी सर बी.बी. पर भी है,सो होली के ठीक पन्द्रह दिन पहले उन्होंने प्रजा […]

आज व्यंग्यकार बनने के लिए मन अधीर हुआ,तो हो गया शुरु..,सोचा होली का माहौल है तो होली पर ही लिखा जाए। सोचना शुरू किया तो पहला प्रश्न आँखों के आगे आया कि, होली का मतलब है क्या?बचपन में नानी की जुबानी याद आई  कहानी कि,’हिरण्यकश्यप की बहिन हती होलिका बाके […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।