पर नारी की उम्र देख नर रिश्ते गढ़ते। माता,बहना या कि बेटियाँ प्राय: कहते॥ साली-जीजा रूप बहन-भाई के जैसे। देवर-भाभी लगें पुत्र- माता हों ऐसे॥ परियों में भी मातृ रूप के दर्शन मिलते। कहाँ गया आधार कि सारे रिश्ते हिलते॥ रिश्तों को फिर लीक वही अपनाना होगा। अवध न जाए […]

     ‘माँ,इतना कुछ क्यों दे रही हो! कहीं जाते वक्त इतना कुछ खाकर जाना संभव नहीं है।’ माँ कुछ बोले,उससे पहले ही पिताजी जवाब दे देते हैं,-‘यात्रा में निकलने से पूर्व कुछ खाकर निकलना चाहिए। इतनी दूर जाना है,क्या पता रास्ते में गाड़ी रुकेगी या नहीं,इसलिए कुछ खा लो। […]

मेरे पापा कितने अच्छे, मेरे संग बन जाते बच्चे, मुझे अपनी पीठ बिठाते, सारे घर की सैर कराते, मेरी बातें ध्यान से सुनते, हरदम रहते मुझे निखारते पर,मेरे पापा हैं बड़े भोले, कभी नहीं मुझे डांट के बोले, कोई उनको कितना टटोले, मेरी गलती पर मुंह नहीं खोले, मुझको जैसे […]

‘हम भारत के लोग’ से शुरू होने वाले हमारे संविधान  की प्रस्तावना में आगे कहा गया है कि हम अपने लिए एक सम्पूर्ण प्रभुत्व सम्पन्न लोकतांत्रिक गणराज्य की स्थापना का संकल्प लेते हैं। २६ जनवरी १९५० से लागू हुए इस संविधान में हमने लिए गणराज्य या गणतंत्र का चुनाव तो […]

कुदरत की कारीगरी हो,     ख़ुद अपनी पहचान हो।   मत भूलो वज़ूद अपना,       तुम भी एक इंसान हो॥  मानवता का मंदिर हो तुम,        प्रेम की मिसाल हो।    माटी के पुतले अजीब,        तुम भी एक इंसान हो॥   मासूमियत […]

लोकतन्त्र का हो गया यह तो अजब-सा खेल, भूख से किसान बेहाल है अमीर बन रहे धनकुबेर, सौ धनाढ्यों ने कब्जा ली दो तिहाई धन सम्पत्ति, गरीब महंगाई से आहत है पेट पर बांध रहा है पट्टी, सामाजिक असमानता का यह तो हो गया नंगा नाच, अमीर ओर अमीर हो […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।