मातृ-भूमि की गोद में,है स्वर्गिक आनन्द। जियें-मरें इसके लियें, रच लें सुन्दर छन्द।।1।। इसके पूजन हेतु हम,तन-मन-धन ले सर्व। हम पैदा इस पर हुए, हमको इसका गर्व।।2।। अपनी भाषा में करें,हम इसका गुण-गान। इसका बढ़ जायगा, अपना भी सम्मान।।3।। अमृत सा जल पी रहे, चन्दन सी है धूल। इसके अर्चन […]