भोर कहाँ छिप जाती है पँछी कल-कल गुन्जन करते प्रातः कहाँ से आती है।। दिन तपता जलता सा जाता फिर करुणा बरसाती है रंग सुनहरे अक्षद्वीप में साँझ ढले फिर आती है।। कैसे रहती है मस्त चाँदनी क्या दिन में जल जाती है ख्याबों के फिर पंख लगाकर दूर कहाँ […]
सत्ताईस नवंबर शुभ दिन आया। उन्नीस सौ सात साल कहलाया।। जन्म वसुधा पर बालक ने पाया। कायस्थ श्रीवास्तव कुल हर्षाया।। पिता प्रताप नारायणजी का प्यारा। माँ सरस्वती देवी का राज दुलारा। इलाहाबाद नगर, प्रतापगढ़ प्यारा। धन्य वसुंधरा बाबू पट्टी ग्राम सारा।। पाणिग्रहण का मंगलमय दिन आया। श्यामादेवी,तेजी सूरी से ब्याह […]