मैं  वो  सूखे  दरख़्त  का  ठूँठ  हूं, जो  औरों  के बहुत काम आया । पड़ा   हूं  आज  मैं  बीच  राह  में, ठोकरों का सिर पे इल्जाम आया। जब  तक  जुड़ा  रहा  मैं  जड़ों से, अपने  में  जहां  समेटे  खड़ा था । बदले   कई   मिजाज   मौसम  ने, […]

आज नहीं  मन पढ़ने का, आज नहीं,मन लिखने का। मन विद्रोही,निर्मम  दुनिया, मन की पीड़ा किसे बताऊँ, माँ के आँचल में सो जाऊँ। मन में कई तूफान मचलते, घट मे सागर भरे छलकते। तन के छाले घाव बने अब, उन घावों को ही सहलाऊँ, माँ के आँचल में सो जाऊँ। […]

      “लेखनी क्यों कठघरे में ” इस बात को ऐसे ही स्पष्ट नहीं किया सकता है । इसके कई ऋणात्मक और धनात्मक कारण हैं।     रचनाकार हमेशा अपनी नजर में जैसा दिखता है अथवा उसके हृदय से जो निकलता है वही कलम के द्वारा कागज पर उतारता […]

अखबार टीवी के लिए तो बस एक खबर होती है पूछो उसके दिल से हाल उसका जिस पर यह कयामत गुजर होती है । मीडिया को मिल जाता है एक ज्वलंत बहस का मुद्दा टीआरपी की खातिर केवल बहस नज़र होती है । हैवान घूमते पहने शराफत का नकाब इज्जत […]

  ताउम्र के लिए सितम मेहमान हुआ मेरा खाली ज़मीन खाली आसमान हुआ मेरा कुछ आरज़ू नहीं है और जग के मालिक सब जग से छूटा मगर भगवान हुआ मेरा ग़म नही शहंशाह के बाशिंदों की दूरी से जिसका सब कुछ सारा जहान हुआ मेरा उसकी अदा में अब तक […]

खिडकी से दिखता छायादार पेड अब भी वहीं खडा है वह हरा भी है और उसकी शाख पर झूला भी पडा है परन्तु हृदय व्यथित है सुबह सवेरे गोरैया का कलरव नहीं कान में गिलहरियों का कट कट कट कट स्वर पडा है हैरान हूँ सब कहाँ गुम हो गई […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।