पाने की चाह में खोने का डर सताता है बिना कुछ पाये ही दिल सहम जाता है फ़ितरत में जुड़ा है ये डर जाना सहम जाना रुका था न रुकेगा इंसाँ का बहक जाना लाख दुआएं कर लो फिर भी फ़ितरत न मिटेगी ये ज़ोफ़-ए-इंसाँ१ है जनाज़े तक रहेगी डॉ. रूपेश […]

दिल की दीवारें जब दरकी रिस रिस जल की बूँदे सरकी। पीड़ा के बदरा मंडराये अश्रु नयन ये रोक न पाये। आँसू आखों का मौन तोड़ यह गिरा नयनो की बेजोड़ अवरुद्घ कंठ नहीं कह पाता यह सारी गाथा समझाता । यह नयनों का दुर्लभ मोती ओस बिन्दु निज आभा […]

*जैसे ही आसमान में घनघोर घटा छायी, बिजली कड़क ने लगी, बादल भी अपने बरसने के पूरे मूड़ में आ गया और श्वेत से श्याम रंग धारण किया वैसे ही प्रीतेश के मन रूपी बादल के रंग भी बदलने लगे।*  वो कला रंग भी शायद अतित की काली यादों को […]

दहेज मांगकर हम ये कर रहे हैं, ना खुद जी रहे!ना मर ही रहे हैं, सभी जानते!अभिशाप है ये, जो माफ न हो!वो पाप है ये, इस आग में बहुत घर जल रहे हैं बच्चियाँ तो कोख में ही मर रही हैं, न जाने फिर क्यों!वही कर रहे हैं, ना […]

पानी को बांधा तो सरोवर बन गया, मोतीयों को बाँधा तो गले का हार बिना व्रतों का जीवन अंगार बन गया व्रतों से बंधा जीवन अलंकार* आम जन जीवन और दिनचर्या में भी यही बात लागू होती है कि कुछ व्रतों से यदि हम अपने जीवन को बाँध ले तो […]

कोई भी ज़ख़्म दिल को खटकता नहीं है अब । आँसू भी चश्म में मेरे चुभता नहीं है अब । इस हद अकेला हो गया मैं कि पूछ मत । साया भी मेरा साथ में चलता नहीं है अब । इन मौसमों में पहले सी वो बात भी नहीं । […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।