शोखियों में घोला जाय फूलों का शबाब उसमें फिर मिलाई जाय थोड़ी सी शराब होगा वो नशा जो तैयार वो प्यार है प्यार… एक कवि जिसने दुनिया को प्यार का सूत्र दिया… दुनिया भी उसे उतने ही प्यार से आज श्रद्धांजलि दे रही है… उनके साथ जुड़े किन किन प्रसंगों […]

धर्म-अधर्म चिल्लाते क्यों सब ये प्रथा पुरानी। स्वार्थवश सृजन हुआ था, है ये कथा कहानी। क्यों पचड़े में पड़ने जायें, किसके साथ लड़ेंगे मानवता ही धर्म हमारा, हम यही बात करेंगे। मानव ही मानवता को अब शर्मसार कर जाता दुनियां को समझाऊँ कैसे,मैं समझ नहीं पाता द्वेष-दम्भ लोभ-मोह छल-कपट पास […]

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दो दिन की थका देनेवाली यात्रा के बाद पहियों से जमीन पर उतरना विलक्षण अनुभव था। शरीर में रेल के तीसरे दर्जे की महक समा गई थी। अभी तक कंपन महसूस हो रहा था। गनीमत है स्लीपर में टिकट कन्फर्म हो गई थी। आमने सामने छ: बर्थ थीं। उसकी सबसे […]

लापसी न नुंगती खा रिया , और खा रिया दाल पूड़ी । किकर गला सु कव्वो उतरे , टूटे जद किणरी चूड़ी ।। मौसर रा चटकारा लेवो  , खूब दबा न जीमण जीमो । आधी उमर में बापू मर गियो , कोणी करवायो उणरो बिमो ।। घरका रो रिया घणा […]

ओ नीलाम्बर में उड़ने वाले बादल तुम लगते जैसे , कोई बंजारों के दल । कभी तुम होते काले -काले कभी होते रक्तिम आभा वाले, थमा दिए हों सूरज ने हाथों में मदहोशी भरे मदिरा के प्याले। चलते हो तुम भेष बदल -बदल तुम लगते जैसे , कोई बंजारों के […]

बच्चे का रुदन उसके आगमन से होता शुरु। हर दर्द के साथी आँसू। व्यस्क होने पर छुप कर रो लेता। माता पिता से भी नहीं कुछ कहता। कभी प्रेम में ठुकराए कोई। रो कर वह दर्द पी लेता है। नौकरी न मिले तो बेरोजगारी होने का दंड रोकर भोग लेता […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।