ताज नगरी मे जन्म लिया इटावा मे करते थे टन्कण् सरस्वती का मुख मे वास जीत लिया शब्द विश्वास फिल्मी गीतो से हुए यशस्वी कविता के थे बड़े तपस्वी गीतो मे भी अध्यात्म दिया मेरा नाम जोकर को अमर किया रचनाओं मे ही जीते रहे कविता जीवन पर्यन्त रचते रहे […]

“क्या जी!  मैं सारा दिन तुम्हारा इंतज़ार करती हूं और तुम आकर सीधे अपने मम्मी- पापा के कमरे में चले जाते हो, मेरे बारे में कुछ भी नहीं सोचते” गुस्से से भरी हुई ऋतु बोली।   “दिन भर का थका-हारा आया हूँ, घर आने पर लोगों की पत्नियां चाय- पानी पिला […]

शिव ही शिव हैं जिसके अंदर जानें जो शिव-माया का अंतर। प्रेम शिव से करता है शिव पर ही वो मरता है। शिव हैं उसकी श्वांसों में शिव उसकी प्रश्वासों में। शिव मिलन को जिसने जग की मर्यादाएं तोड़ी हैं। शिव को भी है प्यारा सबसे जिसे कहते हम अघोरी […]

जब ना लिख पाया कोई भी,अपनी किताब ए गुनाह । हमने कर ली तैयारी लिखेंगे ऐसा जो खुद को कर ले फनाह ।। अपने ही माँ बाप के दर्दो को मैं बाट ही ना पाया । जब जरूरत पड़ी उन्हें,मैं अपनी सहूलियत से उनके काम आया।। जिन्होंने मुझे बड़ा करने […]

थामे रखनी है अपने हाथों मे एक मशाल ताकि गुजर सकें वक्त-बेवक्त अकेले अन्धी सुरंगो से होकर बेखौफ़. षडयंत्रो से परिचित हो कर भी दिख सके निश्चिंत बना कर रखनी है खुद अपने लिये सुरंगे जो निकाल सके सही वक्त पर लाक्षागृहो से. अपने ही प्रयासो से पाने होंगे मंत्र […]

उम्र भर सवालों में उलझते रहे, स्नेह के स्पर्श को तरसते रहे फिर भी सुकूँ दे जाती हैं तन्हाईयाँ आख़िर किश्तोंमें हँसते रहे आँखों में मौजूद शर्म से पानी, बेमतलब घर से निकलते रहे दफ़्तर से लौटते लगता है डर यूँ ही कहीं बे-रब्त टहलते रहे ख़ाली घर में बातें करतीं […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।