सारा जग कर रहा जिन्हें याद, ऐसे थे हमारे चंद्रशेखर आजाद। सर पर बांधकर क्रांतिकारी ताज, आजादी के लिए किया आगाज। अंग्रेजों को देख ताव देती थी मूंछ, याद दिलाया इनको छठी का दूध। क्रांतिकारी जयघोष करती बंदूक, देश को ही माना इन्होंने सबकुछ। कुटिल चालों से देश हो रहा […]

ये कच्ची माटी की काया, माया कोई जान न पाया। क्यों होता है कब होता है, अब होता है तब होता है। जो होता है जब होता है, कुदरत का करतब होता है। ईश्वर अल्लाह’ रब होता है, भगवन मौला सब होता है। मानव तो मानव होता है, डम डम […]

भूख बेरहम ही तो है, इंसा को नचा देती है। इसकी ताकत होती है, बहुत गज़ब की साथी, भूख ही झुका देती है.. भूख ही रुला देती है। दो टुकड़े रोटी के ही, चोर का ठप्पा लगा देते.. भूख मजबूर बना देती है। कोई नाचता जश्न महफिल में, कोई बाजारों […]

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पांच पदार्थ के मिलन से मनुष्य देह धरा, लेकिन वो एक-दूसरे को न समझ सका। न विचारों का मिलन,न स्वभाव का.. एक ही जैसी चीजों से बना ढाँचा, फिर भी मेल नहीं खाता चेहरा। एक-एक बिन्दु से बना है सिन्धु, हम भी एक बिन्दु ही हैं.. बिन्दु कहते बून्द को, […]

हमें कुछ नहीं चाहिए, बस लड़की संस्कारी चाहिए.. शादी ऐसी कर देना, दहेज कुछ न देना। बारात की खातिर, अच्छी कर देना.. अपनी बेटी को, जो चाहो दे देना.. बस समाज में मान रख लेना। चाहे दहेज कुछ न देना, जैसी हो रही है, शादी ऐसी कर देना.. चाहे दहेज […]

पानी में कागज की वो नाव चलाना, खेल खेलना और खिलाना.. मजे करते थे हम भरपूर, छल-कपट से थे दूर। खेल-खिलौने, हमारी मिट्टी, नाटक में चंदा मामा को लिखते थे चिठ्ठी.. चोर सिपाही,गिल्ली डंडा,चंगा अठ्ठा मास्साब हमसे कहते थे और पठ्ठा। बरसात में वो भीगना,धूप में वो खेलना, सर्दियों में […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।