बेटी हर घर का है सपना, बेटी के बिन लगता है खाली हर अंगना। बेटी के कई रूप हैं, सुन्दर स्वरूप हैं.. माँ, बहिन, बेटी अनेक रूप में होती है, आज जो पत्नी है.. बचपन की बेटी है अब पत्नी है, बच्चों की माँ है.. माँ तो बस माँ है। माँ जब अपनी […]
काव्यभाषा
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