बेटी हर घर का है सपना, बेटी के बिन लगता है खाली हर अंगना।  बेटी के कई रूप हैं, सुन्दर स्वरूप हैं.. माँ, बहिन, बेटी अनेक रूप में होती है, आज जो पत्नी है.. बचपन की बेटी है अब पत्नी है, बच्चों की माँ है.. माँ तो बस माँ है। माँ जब अपनी […]

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अपने ही घर में सेना से,पत्थर वाले ऐंठे हैं। सुकमा में नक्सली जवानों की लाशों पे बैठे हैं। जाने किस नशे में खो गए,ये नेता गद्दी वाले। प्रवक्ता  इस तरह बनते हैं,जैसे हों रद्दी वाले। सुकमा में शहीद हुए जो,किसी बहन के भाई थे। अपने ही मात-पिता की वो,ज़िन्दगी की […]

सगरों की उर्मियों में, तुम दिखे हो गीत मेरे । फूल की हर पाँखुरी में, तुम हँसे हो गीत मेरे ।। उर धड़कते, बनके धड़कन.. तुम बने मन ईश मेरे। दूध से निखरे उजाले, बन गए मन मीत मेरे.. रात के घनघोर टिम में, तुम छिपे हो गीत मेरे।। आप […]

(मधुगीति १७०४१५ अ) कोई मिल पल में चल देता, कोई कुछ वर्ष संग देता; जाना सबको ही है होता, मिलन संस्कार वश होता। विदा क्षण-क्षण दिए चलना, अलविदा कभी कह देना; यही कर्त्तव्य रह जाता, मुस्करा भाव भव देना। चले सब जाते अपनी धुन, झाँकते चलते दे चितवन; नज़र में […]

मैंने खुशी को पास बुलाना चाहा, पर वह न आई कसम खाकर। मैंने खुशी को कलियों में खोजा, पर उपवन ले गया चुराकर। मैंने खुशी को नदियों में खोजा, पर लहरें ले गई बहाकर। मैंने खुशी को बरखा में खोजा, पर रिमझिम बूँदे ले गई इतराकर। मैंने खुशी को खेतों […]

  जब काटता नहीं था,नाई भी उसके बाल, जात-पात के वो मासूम,हल करता था नितदिन ही कांटेदार,असंख्य सवालl हर सवाल पहले वाले से ज्यादा कठिन, अनसुलझा-सा और अपमानजनक घूम जाता था,अपनी ही धुरी पर पृथ्वी-सा उसका दिमाग.. काँप जाते थे इस भूकंप से, गरीब की कुटिया जैसे उसके पाँव.. झूलता […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।