नीरज अवस्थी   ऊपर जिसका अंत नहीं हो, उसे आसमां कहते हैं, ममता क्षमा दया अनन्त हो, उसको ही माँ कहते हैं..। घटित हुई हो जो घटनाएँ, उसे दास्ताँ कहते हैं, दुख सहकर सुख देती है जो, उसको ही माँ कहते हैं..। धीर-वीर गंभीर किसी से कभी, नहीं कुछ कहती […]

इश्क तो उस… इश्क़ तो उस ज़माने में हुआ करते थे, जब छतों पर कबूतर उड़ा करते थे.. नज़र भी कभी मिल जाए तो, कयामत तौबा.. दिल के ज़ज़्बात बस दिल ही समझा करते थे… इश्क़ तो उस जमाने में हुआ करते थे…। वो उसका निकलना दामन समेट के, और […]

कौशल कुमार पाण्डेय  ‘आस’ (विधा- वीर छंद,मात्राभार- कुल 31,यति 16/15 ______________________________ रक्षक ही भक्षक बन करके,      लूट   रहे   हैं   देखो   जान। बने भेड़िए  घात लगाए,      करते भारत  का अपमान।। शर्म करे दरबार देश का,       रखे  न अपनी आँखें  मींच। […]

जन-जन से भू पर अपने  मैं प्यार कर रही  हूँ । बढ़ती ही जा रही हूँ बिन फायदे के मैं तो, हारे-थके  हर-इक का  उद्धार कर रही हूँ। करते हैं लोग गन्दा, मेरी सहन तो देखो, हर कष्ट झेलकर मैं व्यापार कर रही हूँ। भू के असुर अब मेरा उपभोग […]

जीवन से नदारद—–प्यार हो गया। आदमी का तामसी व्यवहार हो गया।। जिसे भी देखो —–बस भाग रहा है। धन-दौलत ही जीवन — सार हो गया।। गायब हो गई है —-बाज़ारों की रौनक। ऑनलाईन सारा —-व्यापार हो गया।। माँ-बाप को अनाथालय में छोड़ कर। वो कहता है —घर गुलज़ार हो गया।। […]

 चलता रहा, बड़ा हो गया अपने पैरों पर, खड़ा हो गया। शहर दर शहर, घूमता रहा अनुभवों को लिए, चढ़ता रहा। दुनिया भर में, बढ़ता गया शिखर कई, चढ़ता गया। सफलताएं, चरण चूमती रहीं नाम से, आकाश पट गया। कहीं भरोसा, नहीं होता कुछ कमी-सी, लगती है। आँख के कोरों […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।